वकालत के साथ सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की कोशिश: विक्रम मित्तल 

वकालत के साथ सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की कोशिश: विक्रम मित्तल 
विक्रम मित्तल।

-कमलेश भारतीय 
वकालत के साथ साथ सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की लगातार कोशिश है मेरी । यह कहना है हिसार बार के सदस्य व डेमोक्रेटिक फोरम के सचिव विक्रम मित्तल का । वे इन दिनों बार एसोसिएशन की ओर से लगातार किसान आंदोलन के पक्ष में सांकेतिक धरने को पूरा सहयोग दे रहे हैं । मूल रूप से उकलाना के निकट चमारखेड़ा निवासी विक्रम ने डी एन काॅलेज से एम ए इंग्लिश , गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय से डिप्लोमा जनसंचार व कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एम ए और बाद में लाॅ किया । दिलचस्प बात यह है कि विक्रम को छात्र जीवन से लेकर वकील और नेता बनते हुए मैं इन बीते सालों में सारी जीवन यात्रा का गवाह रहा ।
-बचपन में किस गतिविधि में रूचि रखते थे ?
-भाषण प्रतियोगिता में भाग लेना शुरू किया आठवीं कक्षा से और टाॅपर रहा । फिर  डीएन काॅलेज में भी इसी गतिविधि में हिस्सा लेता रहा ।
-स्टूडेंट्स फैडरेशन ऑफ इंडिया से कब जुड़े?
-डीएन काॅलेज में यह प्लेटफाॅर्म मिला । सन् 1998 की बात है । 
-इसमें किस पद तक पहुंचे ?
-सन् 2005 से 2010 तक पांच साल तक स्टेट प्रेजिडेंट रहा । आजकल डेमोक्रेटिक फोरम का सेक्रेटरी हूं । साथ में वकालत। 
-किसानों के समर्थन में सांकेतिक धरना क्यों?
-कुछ हमारी सामाजिक जिम्मेवारी है उसे पूरा करने के लिए । उसी जिम्मेवारी को निभाने की कोशिश । आने वाली पीढ़ी को जवाब दे सकें कि हमने आंदोलन के लिए क्या किया  ।
-एसएफआई से जुड़ने की प्रेरणा कहां से मिली ?
-बचपन से ही समाज के लिए कुछ चलने की भावना बहुत बलवती रही । फिर यह प्लेटफाॅर्म मिल गया ।
-पार्टी से जुड़ने के बाद किनसे प्रेरणा ली ?
-शहीद भगत सिंह, कामरेड पृथ्वी सिंह और कृष्ण स्वरूप गोरखपुरिया जो मेरे ससुर भी हैं । 
-परिवार ने विरोध नहीं किया?
-पिता रामकुमार जी उकलाना में आढ़त की दुकान चलाते हैं । पहले एसएफआई में जाने पर गुस्से हुए । इतना कि कुरुक्षेत्र में पढ़ाई के लिए पैसे देने बंद कर दिये और मैंने किताबें बेच कर पढ़ाई का खर्च पूरा किया । बाद में मेरी मां के कहने पर खर्चा देना शुरू किया । सुनीता से शादी के समय भी खूब नाराज । कामरेड हरपाल और प्रभात मेरा भाई पंकज , शकुंतला और मैं खुद मनाने गये लेकिन नहीं माने । शादी सन् 2007 में हुई और आखिर सन् 2008 में मान गये ।
-क्या शौक हैं ?
-बैडमिंटन खेलना , ताश की बाजी लगाना और साहित्यिक पुस्तकें पढ़ना  ।
-क्या लक्ष्य ?
-वकालत के साथ साथ सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जंग लड़ते रहना।  
हमारी शुभकामनाएं विक्रम मित्तल को।