सच्ची, खरी पत्रकारिता कंफर्ट जोन से निकलकर जमीनी यथार्थ को रिपोर्ट करना हैः पत्रकार संदीप चौधरी

हिंदी पत्रकारिता दिवस पर मदवि में कार्यक्रम आयोजित।

सच्ची, खरी पत्रकारिता कंफर्ट जोन से निकलकर जमीनी यथार्थ को रिपोर्ट करना हैः पत्रकार संदीप चौधरी

रोहतक (गिरीश सैनी)। सच्ची, खरी पत्रकारिता कंफर्ट जोन से निकलकर जमीनी यथार्थ को रिपोर्ट करना है। जरूरत है कि पत्रकार सत्ता प्रतिष्ठान से सवाल पूछे। ये विचार प्रतिष्ठित पत्रकार संदीप चौधरी ने मंगलवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के आईएचटीएम कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित हिंदी पत्रकारिता दिवस कार्यक्रम में व्यक्त किए।

हिंदी पत्रकारिता दिवस के उपलक्ष्य में हिंदी पत्रकारिता: अवसर एवं चुनौतियां विषय पर ये संगोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया गया। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, हिंदी विभाग तथा डिस्ट्रिक्ट प्रेस क्लब रोहतक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता पत्रकार संदीप चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि पत्रकार अपनी ताकत को समझें। भाषायी सीमाओं की संकीर्णताओं में बंधने की जरूरत नहीं, बल्कि समाज - देश के ज्वलंत मुद्दों पर खबर करने की जरूरत है। आज पत्रकारिता ओपन गेम है, ऐसे में नवोदित पत्रकार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर गांव, कस्बों तक की खबरें प्रचारित प्रसारित कर सकते हैं। संदीप चौधरी ने उपस्थित जन के प्रश्नों के उत्तर भी दिए।

डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. सुरेंद्र कुमार ने पत्रकारिता को प्रकाश पुंज बताया, जिसके जरिए समाज को आलोकित किया जा सकता है। उनका कहना था कि आज के मुक्त सूचना प्रवाह के समय में सत्य की चाशनी में लपेटे हुए असत्य को समझने की सख्त जरूरत है। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी।

पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश कुमार ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता का इतिहास भारत के आजादी के संघर्ष में इतिहास से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि मीडिया को लोकतंत्र के प्रति जवाबदेह होना होगा, जनता जनार्दन की ओर जवाबदेह होना होगा।

कार्यक्रम में स्वागत भाषण डिस्ट्रिक्ट प्रेस क्लब अध्यक्ष ओपी वशिष्ठ ने दिया। आभार प्रदर्शन सचिव सत सिंह ने किया। इस कार्यक्रम में हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. कृष्णा जून, शारीरिक शिक्षा विभागाध्यक्ष कुलताज सिंह, निदेशक आईएचटीएम प्रो. आशीष दहिया, निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी सहित हिंदी विभाग तथा पत्रकारिता विभाग के प्राध्यापक, शोधार्थी व विद्यार्थी मौजूद रहे।