शाब्दिक यात्रायें करवाता और ज़िंदगी की एकरसता को दूर करता यात्रा संकलन

शाब्दिक यात्रायें करवाता और ज़िंदगी की एकरसता को दूर करता यात्रा संकलन

-कमलेश भारतीय
इधर गुरुग्राम की रचनाकार सविता स्याल के संपादन में '111 यात्रा संस्मरण' संकलन प्रकाशित हुआ है । यह सविता स्याल के संपादन में 'दोस्ती' संकलन के बाद दूसरा संकलन है। गुरुग्राम में ही तब भी भव्य विमोचन समारोह आयोजित किया गया था और इस बार भी ऐसा ही विमोचन समारोह कल गुरुग्राम के सेक्टर चौदह स्थित गवर्नमेंट गर्ल्ज काॅलेज में आयोजित किया । इसमें इस संकलन को प्रकाशित करने का उद्देश्य स्पष्ट करते संपादिका सविता स्याल ने कहा कि यात्रायें निश्चय ही हमारे जीवन की एकरसता तोड़ती हैं और मनोरौजन के साथ साथ  ज्ञान और नये नये अनुभव भी देती हैं लेकिन बहुत से लोग चाह कर भी शारीरिक अस्वस्थता, जीवन की आपाधापी में यात्रायें नहीं कर पाते, इसलिए शाब्दिक यात्रायें करवाने के उद्देश्य से यह यात्रा संकलन प्रकाशित व संपादित करने का निश्चय किया और  देखते देखते इतना सहयोग मिला कि 111 यात्रा संस्मरण के रूप में यह पुस्तक आज आपके हाथों में सौंप रही हूँ । इसमें देश से ही नहीं, विदेश से भी यात्रा संस्मरण मिले हैं । इसका आयोजन 'स्वर लहरी म़ंच' व गवर्नमेंट गर्ल्ज काॅलेज की ओर से संयुक्त रूप से किया गया । 
मंच पर आसीन व काॅलेज के प्रिंसिपल जितेंद्र मलिक ने कहा कि साहित्य समाज को राह दिखाता है और यह संस्मरण लेखनी की यात्रा है और मेरी दुआ है कि यह यात्रा जारी रहे । इसी प्रकार फरीदाबाद से आईं विशिष्ठ अतिथि श्रीमती दुर्गा सिन्हा ने कहा कि अपनी किताब निकालना आसान होता है जबकि संकलन संपादित करना बहुत मुश्किल ! सविता स्याल ने यही मुश्किल काम किया है और बहुत खूबसूरती से किया है। प्रो मोहन मनीषी ने भी संकलन में शामिल यात्रा संस्मरणों की सराहना की, वहीं यायावर राहुल सांकृत्यायन को भी स्मरण किया। समारोह के अध्यक्ष मुकेश गंभीर व‌ काॅलेज की वाइस प्रिंसिपल पुष्पा आंतिल ने भी संकलन को विशिष्ट संकलन बताया। मुकेश गंभीर, डाॅ दुर्गा सिन्हा व मोहन मनीषी ने कविताओं का पाठ भी किया जाता । 
संकलन में प्रकाशित यात्रा वृत्तांत व यात्रा संस्मरण के प्रथम रहे रचनाकारों के साथ साथ सभी संकलित व कार्यक्रम में आये रचनाकारों को संकलन की प्रतियां बड़े सम्मान के साथ प्रदान की गयीं । 
इस आयोजन में शकुंतला मित्तल, अंजू खरबंदा, चित्रा गुप्ता(सिंगापुर), मीनाक्षी भसीन, सुदर्शन रत्नाकर, इंदुराज निगम, राजेन्द्र निगम, सरोज गुप्ता, कृष्ण लता यादव, हरेंद्र यादव, रश्मि, नीलम भारती, अर्चना पांडेय, प्रीति मिश्रा, माधुरी मिश्रा, संतोष बंसल, नलिनी भार्गव, दीपशिखा तिवारी, अशोक कौशिक, डाॅ मुक्ता, शांति कुमार स्याल, सविता चड्ढा, सुदेश वीर, वीणा अग्रवाल, सुजीत कुमार, सुधा चौहान, शुभ तनेजा, सरिता शर्मा,  हरीश कुमार, शारदा आदि अनेक रचनाकार मौजूद रहे, जिनकी मौजूदगी ने समारोह को भव्य व गरिमापूर्ण बनाया। बबिता गर्ग 'सहर' ने शानदार, सहज और बढ़िया मंच संचालन किया। 
समारोह में अनेक रचनकारों का पहली पहली बार परिचय भी हुआ,यह एक प्रकार से मिलन समारोह भी बन गया। कार्यक्रम के लिए सविता स्याल, श्री स्याल और इनकी बेटी सहित सभी शामिल रचनाकारों को बधाई ।
 हां, एक बात जरूर कहना चाहूंगा कि यात्रा संस्मरण या यात्रा वृत्तांत के लिए मात्र तीन पृष्ठ की सीमा बहुत कम रही, थोड़ी ज्यादा होती तो इतने कट न लगाने पड़ते। यह बात मात्र एक पाठक के नज़रिये से कही।