डा अजय शर्मा के तीन नाटक लॉकडाउन, दलित पंडित व आप्रेशन ब्यू-स्टार रिलीज़

प्रिं. डा. नरेश कुमार धीमान ने कहा कि नाटक दलित पंडित व्यंगात्मक है  

डा अजय शर्मा के तीन नाटक लॉकडाउन, दलित पंडित व आप्रेशन ब्यू-स्टार रिलीज़
दोआबा कॉलेज में प्रिं. डा. नरेश कुमार धीमान, डा. सिमर सदोश, प्रो. संदीप चाहल, डा. अविनाश बावा, पारूल शर्मा, डा. अजय शर्मा के तीन नाटकों का विमोचन करते हुए।

जालन्धर: दोआबा कॉलेज के आईक्यूसी द्वारा देश के प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं नाटककार डा अजय शर्मा की त्रिवेणी- तीन नए नाटक- लॉकडाउन, दलित पंडित व ऑपरेशन ब्लू-स्टार का विमोचन किया गया। प्रिं. डा. नरेश कुमार धीमान, प्रो. संदीप चाहल-संयोजक आईक्यूसी, डा. सिमर सदोश-वरिष्ठ उपन्यासकार, कवि, एवं चिंतक व पारुल शर्मा- लेखक ने डा. अजय शर्मा के साथ इन नाटकों को विधिवत रूप से रिलीज़ किया। 

प्रिं. डा. नरेश कुमार धीमान ने कहा कि नाटक दलित पंडित व्यंगात्मक है जिसके माध्यम से डा. अजय शर्मा ने यह बताने की कोशिश की है कि कैसे पंडित भी दलित हो सकता है हालांकि उसका कर्म कर्मकाण्डी कर्म जैसा ही है उसके बावजूद वह कैसे दयनीय हालत में पहुँचता है यह बखूबी बताया गया है। उन्होंने कहा कि नाटक में पंडित किस तरहं से किसी के मर जाने पर भी अपनी मनमानी करना चाहते हैं इस बात को लेकर करारा व्यंग किया गया है। 

डा. सिमर सदोश ने नाटक ऑपरेशन ब्लू स्टार पर बात करते हुए कहा कि डा. अजय शर्मा ने सिख मानसिकता को नाटक के माध्यम से ऐसे पेश किया है जो इससे पहले कभी किसी ने नहीं किया। नाटक में दो सिख फोजी जो दरबार साहिब के बाहर ऑपरेशन ब्लू स्टार होने से पहले के समय खड़े बाते कर रहे हैं कि उनके गुरुओं ने कहा है कि सिख कोम एक ही समय में संत भी है और सिपाही भी लेकिन इन हालातों में पात्र के अंदूरनी द्वंद के कारण उनका संत सिपाही से हारता है हालात ऐसे पैदा हो जाते हैं कि वह सिख पात्र पागल हो जाता है और उसे मेंटल हासपिटल में जाना पड़ता है क्योंकि वो इन हालातों को बर्दार्श्त नहीं कर पाता और घटनाक्रम वहीं पर घटित होता है।

प्रो. संदीप चाहल ने कहा कि नाटक लॉकडाउन 7 लघु नाटिकायों का संग्रह है जिसमें लॉकडाउन, संगम युग, गोरा आदमी, लीला, महामारी, आनलाईन क्लासिस व गोली नाचे गोला गावे शामिल है। नाटक काव्य गद्य के रूप में है जो श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दष्ट्री द्वारा ही दर्शकों के सम्मुख सहानुभूती पैदा करते हैं। लघू नाटकों की हिन्दी साहित्य में समृद्ध परम्परा रही है और लघु नाटक नाटकों का ही भेद है इसमें मात्र एक घटना रहती है और इस कला में डा. अजय शर्मा ने अपनी लेखनी का जोहर बखूबी दिखाया है। 

प्रो. संदीप चाहल ने कहा कि इन सात लघु नाटिकायों में दर्शाया गया है कि कैसे हर आदमी लॉकडाउन के दौरान घर में रहने के लिए मजबूर हो गया, कैसे कैसे मंजरों का सामना लोगो ने किया, देश में लोग रोटी की लड़ाई के लिए कैसे अपनो को भूल गए तथा उन्हें अपना जीवनयापन करने के लिए कौन कौन सी मुशकिलों का सामना करना पड़ा। 

डा. अविनाश बावा ने कहा कि यह बड़े हर्ष की बात है कि डा. अजय शर्मा जैसे कर्मठ लेखक लॉकडाउन के समय में भी रचनात्मकता से जुड़े रहते हुए भी एक साथ तीन नाटकों को पाठकों की झोली में डाला जोकि अनूठी पहल है जो सम्भवता देश में पहली बार हुआ है। उन्होंने कहा गौरतलब है कि डा. अजय शर्मा ने 12 उपन्यास, 5 नाटक, और 1 कहानी संग्रह लिख चुके हैं  जिनमें से 4 उपन्यास विभिन्न विश्वविद्यालयों के 5 कक्षायों में पढ़ाए जाते हैं।