समाचार विश्लेषण/यह संवेदनहीनता किसान आंदोलन पर ?

समाचार विश्लेषण/यह संवेदनहीनता किसान आंदोलन पर ?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
किसान आंदोलन के चलते कम से कम तीन सौ किसान अपनी जान क़ुर्बान कर चुके । सारी सर्दी झेली अपने ऊपर और अब गर्मी का कहर भी सह रहे हैं । प्रधानमंत्री काफी दिनों से एक फोन काॅल की दूरी बता  कर अपना पल्ला झाड़ चुके है तो कृषि मंत्री ने भी किसानों को वार्ता का न्योता दे रखा है कह कर संतुष्ट हैं । यानी इनका कहना है कि गेंद किसान नेताओं के पाले में है । किसान छब्बीस मार्च को भारत बंद करने का आह्वान दे चुके हैं । लोहड़ी पर तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जला चुके हैं । लाल किले तक प्रदर्शन हो चुका पर सरकार और इससे जुड़े नेताओं में संवेदनहीनता बढ़ती जा रही है । पहले हरियाणा के कृषि मंत्री ने किसान आंदोलन पर उदासीन रवैये  से चौंकाया था । उनका कहना था कि मृत किसानों को कोई मुआवजा नहीं मिलेगा । अब राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा के श्रीमुख से ऐसे ही फूल झड़े हैं आंदोलनकारी किसानों के लिए और वे इन किसानों को शराबी और बेकार कह रहे हैं कि वही लोग धरनों पर बैठे हैं । वैसे तो क्या क्या नहीं कहा गया प्रदर्शनकारी किसानों को ? कभी आतंकवादी तो कभी खालिस्तानी । हर हद पार कर दी । किसान ने कहा कि मैं तो अन्नदाता हूं । मेरा इन विशेषणों से गुणगान क्यों ? मैं तो अपना हक मांगने आया हूं । क्या अपना हक मांगने से ही खालिस्तानी हो गया ? आतंकवादी हो गया? किसान अपनी ही उगायी फसल को नष्ट करने लगा है । यह गलत आह्वान है । इसे रोकना चाहिए । किसान नेता अब पश्चिमी बंगाल में अपनी लड़ाई लड़ने चले गये  और हर उस राज्य में जायेंगे जहां चुनाव हो रहे हैं । यानी हम आपके फैन हो गये मोदी जी । आपके पीछे पीछे रहेंगे । याद कीजिए 
तू जहां जहां चलेगा 
मेरा साया साथ देगा,, 
किसान साये की तरह पीछा करेंगे प्रधानमंत्री का । पंजाब की हार को नहीं माना । कहा कि वहां हमारा कोई आधार नहीं । अब यदि पश्चिमी बंगाल में वोट की चोट पड़ती है तब शायद किसान याद आ जायें और वार्ता के द्वार भी खुल जायें । अभी तो राजहठ चल रहा है और अपने ही मन की बात की जा रही है । दूसरों की बात पर कोई गौर नहीं । हां , उनका मज़ाक जरूर उड़ाया जा रहा है । यह असंवेदनशीलता बहुत खतरनाक साबित हो सकती है और हो भी रही है । हरियाणा के गांवों में सत्ताधारी नेताओं का विरोध हो रहा है । इसीलिए । ऊपर से सम्पत्ति नष्ट करने पर सारा खर्च वसूलने के कानून यूपी सरकार की तर्ज पर । ये कदम लोकतंत्र की किस ओर ले जा रहे हैं ?