डॉ टिवाणा की लेखनी में था कमाल का संयम

हिंदी विभाग द्वारा डॉ दिलीप टिवाणा की स्मृति में विशेष परिचर्चा

डॉ टिवाणा की लेखनी में था कमाल का संयम

चंडीगढ़। हिंदी विभाग में आज पंजाबी की प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ दिलीप कौर टिवाणा की स्मृति में विभाग के कही अनकही विचार मंच की ओर से विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें  मुख्य वक्ता के रूप में पंजाबी लेखक कर्नल जसबीर भुल्लर शामिल हुए। उन्होंने 'डॉ दिलीप कौर टिवाणा : व्यक्तित्व एवं कृतित्व' विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए, डॉ टिवाणा के साथ अपने कई निजी अनुभवों के माध्यम से उनकी शख्सियत की विभिन्न परतों को उजागर किया। उन्होंने बताया कि बाहर से देखने में वह जितनी खुशमिजाज थीं वहीं आंतरिक तौर पर उन्होंने अपने जीवन में बहुत से हादसों को झेला था। उन्होंने आगे बताया कि वह सादगी पसंद महिला थीं। उनके उपन्यास 'ऐहो हमारा जीवणा' उपन्यास का उद्धरण देते हुए बताया कि उन्होंने स्त्री के हक की आवाज उठाई लेकिन आश्चर्य की बात है कि अपनी निजी जिंदगी में वह इतनी 'बोल्ड'  नहीं थीं। जब भी उनके घर जाओ तो उनके व्यवहार से कभी नहीं लगता कि आप किसी लेखिका के घर आए हो। उनका हर किसी से मोह का रिश्ता था, वह मनुष्य के साथ - साथ पक्षियों को भी प्रेम करती थीं और उनके साथ समय व्यतीत करती थीं। अमृता प्रीतम के बाद पंजाबी साहित्य में उतनी लोकप्रियता किसी को नहीं मिली जितनी डॉ टिवाणा को मिली। 
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ गुरमीत सिंह एवं प्रो सत्यपाल सहगल उपस्थित रहे। इस परिचर्चा में शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। 
कार्यक्रम की शुरुआत दो मिनट का मौन रखकर डॉ दिलीप कौर टिवाणा, जसवंत सिंह कंवल एवं कृष्ण बलदेव वैद को श्रद्धांजलि अर्पित कर के की गई। इस पूरे कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी वंदना रानी ने किया।