रंगमंच ही मेरी प्राथमिकता और यही करते रहना चाहती हूं: मुनमुन 

रंगमंच ही मेरी प्राथमिकता और यही करते रहना चाहती हूं: मुनमुन 
मुनमुन । 

-कमलेश भारतीय 
रंगमंच ही मेरी प्राथमिकता और मैं रंगमंच ही करते रहना चाहती हूं । यह कहना है दिल्ली से नट सम्राट रंगमंडली के साथ दो नाटक मंचित करने आईं मुनमुन का । ये नाटक थे -कम्बख्त इश्क और हाय मेरा दिल । दोनों की नायिका थीं मुनमुन और उन्होंने अपने श्रेष्ठ अभिनय से सबको मोह लिया । 
मूल रूप से तेजपुर (असम ) की निवासी मुनमुन लेकिन जन्मी , पली बढ़ी दिल्ली में  । पापा एल एन साहा गवर्नमेंट जाॅब में थे और दिल्ली तबादला क्या हुआ यहीं बस गये । एम ए हिंदी के बाद पर्फार्मिंग आर्ट्स यानी रंगकर्म में एम ए कर रही हैं । 
-रंगमंच में रूचि कब से ?
-बचपन से ही । हमारा परिवार बंगाली है और बंगाली तो सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रूचि लेते हैं । मैंने गायन भी किया ।
-वो कैसे ?
-अपनी मां छवि साहा से प्रेरित होकर । वे बहुत मधुर गाती हैं । पहले पहले नृत्य नायिकाओं में भी भाग लेती रही लेकिन फिर रंगकर्म में ऐसी रंगी कि पूरी तरह रंग गयी । पिछले अठारह साल से निदेशक श्याम कुमार से और उनकी संस्था नट सम्राट से जुड़ी हुई हूं । ललित जोशी भी लगभग इतने सालों से नट सम्राट से जुड़े हुए हैं ।
-कौन कौन से मुख्य नाटक किये अब तक ?
-नाटक तो बहुत कर लिये । जैसे -कम्बख्त इश्क, हाय मेरा दिल , मारे गये गुलफाम , कंजूस , बिच्छू , चंदू की चाची , चेखव की दुनिया आदि अनेक नाटक किये हैं ।
-मम्मी पापा ने रोका तो नहीं ?
-जी नहीं । आपको बताया कि बंगाली परिवार संस्कृति से जुड़े रहने में खुशी महसूस करते हैं ।  कुछ न कुछ होना चाहिए । न मम्मी पापा ने रोका और न मेरे पति ने । उन्हें भी पहले से पता था कि मैं रंगमंच करती हूं । मेरे दो बेटे हैं ।
-जो दो नाटक हिसार के रंग आंगन नाट्योत्सव में मंचित किये वे हास्य पर केंद्रित थे । क्या ऐसे ही नाटकों में ज्यादातर भाग लेती हैं ?
-हास्य पैदा करना बड़ी मुश्किल बात है । और इसके अतिरिक्त हर तरह की भूमिकाएं सहजता से कर लेती हूं ।
-आपके पसंदीदा अभिनेता या अभिनेत्री कौन ?
-हेमा सिंह जी से प्रेरणा और मंत्र मिलते रहते हैं शुरू से ही । वैसे बहुत कलाकार पसंद हैं ।
-हिसार आकर , नाटक मंचन कर कैसा लगा ?
-हिसार आकर बहुत अच्छा लगा । सभी लोग बहुत अच्छे और मिलनसार । रंगकर्म के प्रति जागरूक है यह शहर और इसके लोग । शिद्दत से नाटक करते हैं । बहुत ही सुखद अनुभव । 
-आगे क्या लक्ष्य ?
-रंगमंच ही मेरी प्राथमिकता और रंगमंच से ही जुड़ी रहना चाहती हूं । 
हमारी शुभकामनाएं मुनमुन को ।