फिल्मों में सफलता के बावजूद थियेटर की जिद्द बरकार: हिमानी शिवपुरी 

फिल्मों में सफलता के बावजूद थियेटर की जिद्द बरकार: हिमानी शिवपुरी 
हिमानी शिवपुरी।

-*कमलेश भारतीय 
हम आपके हैं कौन , दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे , कुछ कुछ होता है , परदेस जैसी अनेक सफल फिल्मों  की अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी की थियेटर की जिद्द अभी तक बरकरार है । वे सिर्फ थियेटर ही करना चाहती थीं और इसके लिए अमेरिका में पढ़ाई के लिये स्कॉलरशिप मिलने के बावजूद एनएसडी में दाखिला लेकर दुनिया की नजर में अपने सुनहरे करियर को उस समय बर्बाद कर लिया ! अब भी हिमानी 22 फरवरी को दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में 'जीना इसी का नाम है ' नाटक मंचन करने आ रही हैं , जो सिर्फ दो पात्रों वाला नाटक है और दूसरे पात्र हैं प्रसिद्ध एक्टर राजेंद्र गुप्ता ! 
हिमानी शिवपुरी मूलतः देहरादून की रहने वाली हैं और प्रसिद्ध लेखक डाॅ हरिदत्त भट्ट शैलेश की बेटी हैं । दून स्कूल,देहरादून की छात्रा रहते ही डांस व थियेटर से जुड़ीं और फिर आजीवन यह जुड़ाव चला आ रहा है । डी ए वी काॅलेज , देहरादून से एम एस सी की और स्कॉलरशिप के आधार पर अमेरिका जाने की बजाय एनएसडी में थियेटर पढ़ने चली गयीं ! 

-यह खूबसूरत मोड़ कैसे आया ?
-जब स्कूल में डांस, डिबेट आदि में  परफाॅर्म करती थी तब हमारे हैडमास्टर साहब की पत्नी ने कहा था कि तुम्हें तो फिल्मों में जाना चाहिए ! हालांकि उन दिनों इस बात पर गौर नहीं किया । बात आई गयी हो गयी । जबकि साइंस की ब्रिलियंट छात्रा थी, अच्छे मार्क्स लेती लेकिन थियेटर से लगाव बराबर जारी रहा ! जैसे जैसे काॅलेज में थियेटर करने लगी तब बहुत मज़ा आने लगा और सोच लिया कि इसी क्षेत्र में जाना है मुझे !
-जब अमेरिका की बजाय एनएसडी जाने का फैसला किया तब परिवार में क्या प्रतिक्रिया रही ?
-परिवार में  जैसे हाय तौबा मच गयी ! बस एक पापा को छोड़कर सबने इसका विरोध किया कि स्कॉलरशिप छोड़कर , बढ़िया करियर छोड़कर यह क्या नौटंकी करने जा रही है ! यह क्या ड्रामा ड्रामा लगा रखा है ! मैंने पापा से कहा कि मेरे मन में यह मलाल न रहे कि थियेटर नहीं किया और पापा चल दिये मुझे एनएसडी में दाखिल करवाने ! आखिरी कोशिश जरूर की जब बी बी कारंत से कहा कि इसे समझाइए कि पहले अमेरिका जाये और फिर थियेटर करे ! इस पर कारंत जी ने कहा कि जब वह थियेटर करना चाहती हो तो करने दीजिए न ! फिर पापा दाखिल करवा कर चले गये ! 
-दिल्ली में कब तक रहीं ?
-लगभग दस साल ! कोर्स करने के बाद खुद्दारी के चलते छह सौ रुपये की एप्रेंटिसशिप की ! फिर रेपेट्री में आई, ए ग्रेड आर्टिस्ट बनी और यहीं ज्ञानदेव शिवपुरी से मुलाकात हुई, निकटता बढ़ी और हम एक साथ मुम्बई तक पहुंचे ! 
-पहला अवसर या पहली बार नोटिस कब लिया गया आपका ?
-पहला अवसर 'हमराही' में मिला दूरदर्शन पर ! देवकी भौजाई को सफल कैरेक्टर के रूप में चहुंओर प्रसिद्धि मिली । 
-फिर ?
-आप हैरान होंगे कि लेखक तो ज्यादातर मनोहर श्याम जोशी होते थे तो उन्होंने मुझे 'हम लोग' सीरियल में छुटकी के रोल का ऑफर दिया लेकिन मैंने कहा कि थियेटर नहीं छोड़ूंगी और यह रोल नहीं किया । फिर हमराही का ऑफर आया तब ज्ञानदेव जी ने कहा कि देख लो ! और फिर देवकी भौजाई की धूम मच गयी ! 
-मुम्बई कब गये ?
-सन् 1990 के आसपास ।
-देवकी भौजाई के बाद क्या ?
-यही हम भी सोच रहे थे कि अब क्या होगा ? हमराही तो खत्म हो गया । इस बीच बेटा भी हो गया । तभी सूरज बड़जात्या ने मुझे 'हम आपके हैं कौन'  का रोल ऑफर किया ! हालांकि बीच में जीटीवी में 'हसरतें' सीरियल भी किया । बस हम आपके हैं कौन सुपरहिट रही और मैं भी चल निकली ! 
-आगे का सफर ?
-फिर तो दिल वाले दुल्हनिया , कुछ कुछ होता है जैसी फिल्मों में आई और ये फिल्में हिट रहीं और मुझे लक्की माना जाने लगा ! परदेस, उमराव जान , आ अब लौट चलें आदि अनेक फिल्मों में अवसर मिलता गया !
-जीना इसी का नाम है नाटक में क्या रोल है ?
-यह विदेशी नाटक का रुपांतरण है । दो वृद्धों के अकेलेपन पर आधारित जो संयोगवश इकट्ठे होते हैं और राजेंद्र गुप्ता इसमें डाॅक्टर के रोल में हैं जहां हैल्थ रिवाइनिंग सेंटर में मैं जाती हूं पेशेंट जैसी ! परिस्थितियोंवश हम निकट आते हैं और एक दूसरे के अकेलेपन को महसूस करते हैं ! यह आज के समाज की बहुत बडी समस्या भी है और सच्चाई भी ! अभी पटना में मन्नू भंडारी की कहानियों पर भी मंचन करके आई हूं !
-देहरादून को कितना याद करती हैं ?
-बहुत बहुत मिस करती हूं देहरादून को । जब दिल्ली रही तब तक रोडवेज की बस में हर वीकेंड पर देहरादून पहुंच जाती थी । फिर पापा की पहली बरसी पर उनकी कहानी 'सुनहरी सपने' पर नाटक मंचन करने गयी थी । अब भी साल में दो तीन बार तो देहरादून जाना हो ही जाता है ! अब भी दिल्ली में नाटक के बाद देहरादून जाऊंगी !
-कौन सी एक्ट्रेस पसंद ?
-ऐसे कोई आइडिया नहीं लेकिन डांसर थी तो वहीदा रहमान बहुत अच्छी लगती थीं । बलराज साहनी और फिर डांस के चलते ही माधुरी दीक्षित भी । यहां तक कि कंगना रानौत भी ! 
-वह भी आपकी तरह पहाड़ से है , हिमाचल से !
-जी ।
-पसंदीदा नाटक ?
-कृष्णा सोबती के उपन्यास 'मित्रो मरजानी' पर आधारित नाटक जिसकी नायिका उस जमाने से आगे काफी बोल्ड थी लेकिन वह अद्भुत नाटक था । खुद कृष्णा सोबती देखने आईं और गले लगा कर कहा कि तुमने तो मेरी मित्रो को जीवंत कर दिखाया ! 
-परिवार के बारे में कुछ ?
-ज्ञानदेव शिवपुरी जी का निधन तब हुआ जब 'दिल वाले दुल्हनिया' का क्लाईमेक्स शूट होने जा रहा था और आप देखेंगे उसमें मैं नहीं हूं ! एक बेटा है कात्यायन जो फिल्म निर्देशन से जुड़ा है और शाॅर्ट फिल्में भी बनाता है ! 
-किन निर्देशकों के साथ कैसा लगा ?
-सूरज बड़जात्या बहुत प्यारे डायरेक्टर और कम बोलने वाले जबकि करण जौहर खूब बोलते हैं । डेविड धवन डायरेक्टर के तौर पर पूरी छूट देते हैं । उनके और गोविंदा के साथ बीबी नम्बर वन और हीरो नम्बर वन करके मजा आ गया । 
-कोई पुरस्कार ?
-अनेक । संगीत नाटक अकादमी अवाॅर्ड, श्रीकांत वर्मा स्मृति अवाॅर्ड, महाराष्ट्र सरकार सम्मान , उत्तराखंड गौरव और टीवी में आईटीए अवाॅर्ड, कलर्स अवाॅर्ड और ऑल इंडिया जर्नलिस्ट अवाॅर्ड सहित अनेक सम्मान ! 
-लक्ष्य ?
-थियेटर की जिद्द व सार्थक फिल्में ।