"मंटो ज़िंदा है" के तेलुगु संस्करण का लोकार्पण

मंटो का अलग-अलग भाषाओं में अनुदित होना उन्हें कालजयी बनाता है

हिन्दी के वरिष्ठ कवि, नाटककार एवं आलोचक डॉ. नरेन्द्र मोहन।

दिनांक 15 सितम्बर 2020 को राजोरी गार्डन, नयी दिल्ली में हिन्दी के वरिष्ठ कवि, नाटककार एवं आलोचक डॉ. नरेन्द्र मोहन द्वारा लिखित मंटो की जीवनी 'मंटो जिन्दा है' के तेलुगु अनुवाद का लोकार्पण हुआ। उक्त पुस्तक को 'मंटो : जीविता  चरित्रा’ नाम से प्रकाशक छाया रिसोर्सेस सेंटर, हैदराबाद  ने अभी हाल ही में प्रकाशित किया है। इसका  हिन्दी से तेलुगु में अनुवाद डॉ. टी.सी.वसंता ने किया है। इस अनूदित कृति का लोकार्पण डॉ नरेन्द्र मोहन के निवास-स्थान पर हिन्दी के सुपरिचित कथाकार, कवि एवं अनुवादक श्री सुभाष नीरव के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर  युवा साहित्यकार सन्दीप तोमर की भी गौरावमयी उपस्थिति रही। डॉ. नरेन्द्र मोहन जी और अनुवादिका वसंता जी को इस अनूठे कार्य के लिए साहित्य जगत की तरफ से उपस्थित  साहित्यकारो ने बधाई प्रेषित की।

सुभाष नीरव ने बताया कि मंटो का अलग-अलग भाषाओं में अनुदित होना उन्हें कालजयी बनाता है। इस चुनौतीपूर्ण कार्य का नरेन्द्र मोहन ने बड़ी आत्मीयता और दायित्व से ही नहीं वरन निस्संगता और साहस से पूरा किया है। उपलब्ध स्रोतों की गहरी पड़ताल करते हुए उन्होंने घटनाओँ और प्रसंगों की भीतरी तहों को खोलते हुए मंटो के जीवन-आख्यान और कथा-मिथक को बडी कलात्मकता से डी-कोड करके हमारे सम्मुख रखा है। वृतांत और प्रयोग के निराले संयोजन में बँधी यह मंटो-कथा मंटो को उसके विविध रंगों और छवियों से उसके प्रशंसकों-पाठकों को रू-ब-रू कराती है। वहीँ सन्दीप तोमर ने कहा –“गोर्की, चेखव और मोपासाँ जैसे कथाकारों के साथ विश्व के कथा-शीर्ष पर खड़ा मंटो अपने समय का बेहतरीन लेखक है। वह एक अजब और आजाद शख्सीयत है जो अपनी तरह का अकेला है, जिसके आसपास कोई नहीं टिकता।” इस अवसर पर नरेन्द्र मोहन जी ने मंटो के ऊपर विस्तृत बातचीत की। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा-“मंटो जिन्दा है' ऐसी जीवनकथा है जो वृतांत होते हुए भी, वृतांत को बाहर-भीतर से काटती-तोड़ती हमारी चेतना को झकझोरती जाती है। मंटो की जिन्दगी के कई केंद्रीय मोटिफ, प्रतीक और मेंटॉफर हमें स्पन्दित करने लगते है और हम यह महसूस करते है जैसे मंटो को परिस्थिति, समय और साहित्य के साथ हम खुद भी जीने लगे हैं। मैंने जैसे मंटो को जिन्दा महसूस किया है।“

कार्यक्रम के पश्चात श्री नरेन्द्र मोहन ने उपस्थित साहित्यकारों का इस शाम को खुशनुमा बनाने और कोरोना काल में समय निकाल पुस्तक विमोचन करने के लिए आभार व्यक्त किया।