सुपवा के छात्रों ने राखीगढ़ी में आयोजित मूर्तिकला कार्यशाला में भाग लिया

सुपवा के छात्रों ने राखीगढ़ी में आयोजित मूर्तिकला कार्यशाला में भाग लिया

रोहतक, गिरीश सैनी। दादा लखमी चंद राज्य प्रदर्शन एवं दृश्य कला विवि (डीएलसी सुपवा), रोहतक के दृश्य कला संकाय के 13 स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्रों ने हरियाणा पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा हिसार स्थित सिंधु–सरस्वती सभ्यता के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक राखीगढ़ी संग्रहालय परिसर में आयोजित तीन दिवसीय मूर्तिकला कार्यशाला में भाग लिया।

ये स्थान अपने विशाल पुरातात्विक टीले तथा ऐतिहासिक महत्व के लिए विश्वविख्यात है। कार्यक्रम का उद्देश्य व्यावहारिक कलात्मक प्रशिक्षण को पुरातात्विक एवं सांस्कृतिक अध्ययन के साथ जोड़ना था। कार्यशाला के दौरान छात्रों ने मूर्तिकला निर्माण की गहन प्रशिक्षण प्रक्रिया सीखी, जिसमें सिंधु घाटी सभ्यता से प्रेरित टेराकोटा कला पर विशेष बल दिया गया। प्रख्यात मूर्तिकार प्रदीप कुमार ने छात्रों को ऐतिहासिक संदर्भों में अवधारणा, सामग्री के उपयोग और रूप निर्माण की बारीकियों से अवगत कराया।

स्टूडियो आधारित प्रशिक्षण के अतिरिक्त, छात्रों ने हड़प्पा नॉलेज सेंटर तथा राखीगढ़ी के उत्खनन स्थलों का भी भ्रमण किया। कार्यशाला के अंतिम दिन छात्रों ने अपने अधिगम परिणाम के रूप में सिंधु घाटी सभ्यता की आकृतियों और विषयों से प्रेरित टेराकोटा मूर्तियों का निर्माण किया। इस दौरान सुपवा के मूर्तिकला विभाग के सहायक प्राध्यापक हरिंदर भी शैक्षणिक समन्वय के लिए साथ रहे।

कुलपति डॉ. अमित आर्य ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि राखीगढ़ी जैसे जीवंत विरासत स्थलों से जुड़ाव छात्रों को कला को केवल अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में नहीं, बल्कि इतिहास और सभ्यता के साथ संवाद के रूप में समझने का अवसर देता है।