प्रतिष्ठित नासा इंडिया–मडोगिरी समर विंटर स्कूल के लिए डीएलसी सुपवा के छात्रों का चयन

प्रतिष्ठित नासा इंडिया–मडोगिरी समर विंटर स्कूल के लिए डीएलसी सुपवा के छात्रों का चयन

रोहतक, गिरीश सैनी। दादा लख्मी चंद राज्य प्रदर्शन एवं दृश्य कला विवि (डीएलसीसुपवा), रोहतक के वास्तुकला स्नातक (बी.आर्क) कार्यक्रम के पांच छात्रों का चयन प्रतिष्ठित नासा इंडिया समर विंटर स्कूल (एसडब्ल्यूएस) के लिए किया गया है। ये कार्यक्रम उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित सतत समुदाय पहल मडोगिरी के सहयोग से आयोजित होगा।

 

चयनित छात्र – अंकित, मुस्कान अग्रवाल, हर्षदीप कौर, नीरज और नवदीप, 21 से 27 दिसंबर  तक ऋषिकेश के समीप टिहरी गढ़वाल स्थित काफलोग गांव में आयोजित इस सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में भाग लेंगे। ये कार्यक्रम देशभर के वास्तुकला छात्रों को वैकल्पिक और सतत वास्तु अभ्यासों में प्रत्यक्ष, व्यावहारिक प्रशिक्षण का अवसर प्रदान करता है।

 

राष्ट्रीय वास्तुकला छात्र संघ (नासा इंडिया), जो देशभर के वास्तुकला छात्रों का सर्वोच्च प्रतिनिधि संगठन है, के तत्वावधान में आयोजित ये समर विंटर स्कूल एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक मंच के रूप में जाना जाता है। अनुभवात्मक अध्ययन, पारिस्थितिक संवेदनशीलता और सामुदायिक सहभागिता के समन्वय पर आधारित इस कार्यक्रम का प्रत्येक संस्करण स्थल-संवेदनशील अभिकल्पना और स्थानीय ज्ञान पर केंद्रित रहता है, जिससे छात्र कक्षा और स्टूडियो से परे वास्तुकला को समझ सकें। कार्यशाला के दौरान छात्रों को प्राकृतिक और सतत निर्माण तकनीकों- जैसे अर्थ बैग गुंबद निर्माण, प्राकृतिक पलस्तर विधियां तथा अन्य पर्यावरण-अनुकूल वास्तु अभ्यास का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

 

कुलपति डॉ. अमित आर्य ने चयनित छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस प्रकार का राष्ट्रीय स्तर का अनुभव विवि की उस शिक्षण दृष्टि के अनुरूप है, जिसमें संदर्भ-संवेदी अभिकल्पना, सततता और व्यावहारिक अध्ययन पर विशेष बल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि नासा इंडिया के समर विंटर स्कूल में भागीदारी से छात्रों की वैकल्पिक निर्माण तकनीकों और सामाजिक रूप से उत्तरदायी वास्तुकला की समझ में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

 

वास्तुकला एवं योजना संकाय के अध्यक्ष अजय बहु जोशी ने कहा कि छात्रों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शैक्षणिक मंचों में भाग लेने के लिए निरंतर प्रोत्साहित किया जाता है।