कहानियों में आत्मा होनी चाहिएः अश्विनी चौधरी

प्रसिद्ध बॉलीवुड लेखक, निर्देशक और निर्माता ने छात्रों से किया संवाद।

कहानियों में आत्मा होनी चाहिएः अश्विनी चौधरी

रोहतक, गिरीश सैनी। स्थानीय दादा लखमी चंद राज्य प्रदर्शन एवं दृश्य कला विवि (डीएलसी सुपवा) के कुलपति डॉ. अमित आर्य के निमंत्रण पर विवि परिसर पहुंचे प्रसिद्ध बॉलीवुड लेखक, निर्देशक और निर्माता अश्विनी चौधरी ने फिल्म एवं टीवी विभाग के छात्रों के साथ एक संवाद सत्र में शिरकत की।

हरियाणा में जन्मे और पले-बढ़े अश्विनी चौधरी ने एक सहायक निर्देशक के रूप में अपना करियर शुरू किया और लाडो के लिए सर्वश्रेष्ठ नवोदित निर्देशक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। उन्हें अपनी फिल्मों धूप, सिसकियाँ, गुड बॉय बैड बॉय, जोड़ी ब्रेकर्स एंड सेटर्स के साथ-साथ लाखों में एक, ज़िंदगी खट्टी मीठी और रिश्तों का चक्रव्यूह जैसे लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिकों के लिए जाना जाता है। वह वर्तमान में गोल्डन रेशियो फिल्म्स प्रा लि के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।

अपने संबोधन में, कहानी रचते समय अपनी संस्कृति और सहज ज्ञान से जुड़े रहने के महत्व पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि कहानियाँ जब आपकी जड़ों और सहज ज्ञान से निकलती हैं, तभी उनमें आत्मा होती है। दक्षिण भारत की ब्लॉकबस्टर फ़िल्में दूरदराज के इलाकों की कहानियां कह रही हैं, परंपराओं और क्षेत्रीय संस्कृति को प्रतिबिंबित कर रही हैं। यही कारण है कि उनका सिनेमा पूरे देश में इतनी गहराई से गूंजता है।

हरियाणवी फिल्म उद्योग की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए, अश्विनी चौधरी ने बताया कि सरकार ने हरियाणा में फिल्म निर्माण के लिए कई प्रोत्साहन शुरू किए हैं, लेकिन असली चुनौती उनका विवेकपूर्ण उपयोग करने में है। उन्होंने कहा कि जब तक फिल्म निर्माता नए विचार और गुणवत्तापूर्ण विषय-वस्तु नहीं लाते, तब तक हरियाणा से मुख्यधारा और गुणवत्तापूर्ण सिनेमा का उभरना मुश्किल होगा। राज्य में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, और डीएलसी सुपवा पहले से ही सिनेमाई कौशल का केंद्र है। ज़रूरत है दूरदर्शिता, अनुशासन और मौलिकता की। उन्होंने सिनेमाई शिक्षा को बढ़ावा देने में उनके नेतृत्व के लिए कुलपति डॉ. अमित आर्य की भी प्रशंसा की। चौधरी ने डीएलसी सुपवा के छात्रों को विभिन्न व्यावसायिक परियोजनाओं में शामिल करने का वादा किया, जिससे उन्हें पेशेवर अनुभव प्राप्त करने के अवसर मिलेंगे।

कुलपति डॉ. अमित आर्य ने प्रसिद्ध फिल्म निर्माता चौधरी के आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि डीएलसी सुपवा में हमारा प्रयास हमेशा से छात्रों को सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों से परिचित कराना रहा है। उन्होंने आशा जताई कि यह संवाद सत्र छात्रों को अलग तरह से सोचने के लिए प्रेरित करेगा और उन्हें भारतीय सिनेमा में सार्थक योगदान देने के लिए तैयार करेगा।

कुलसचिव डॉ. गुंजन मलिक मनोचा ने कहा कि इस तरह के आयोजन छात्रों को यह समझने में सहायक है कि सिनेमा केवल ग्लैमर के बारे में नहीं है, बल्कि कड़ी मेहनत, ईमानदारी और प्रासंगिक कथाओं के माध्यम से दर्शकों से जुड़ने के बारे में है।