पंजाब विश्वविद्यालय के हिन्दी-विभाग में ‘हिन्दी साहित्य को पंजाब का योगदान’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया

पंजाब विश्वविद्यालय के हिन्दी-विभाग में ‘हिन्दी साहित्य को पंजाब का योगदान’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया

चंडीगढ़, 4 नवंबर, 2022: पंजाब विश्वविद्यालय के हिन्दी-विभाग में ‘हिन्दी साहित्य को पंजाब का योगदान’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया | विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रोफ़ेसर हरमहेन्द्र सिंह बेदी (कुलाधिपति, केंद्रीय विश्विद्यालय, शिमला) एवं मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफ़ेसर राज कुमार (कुलपति,पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ ) उपस्थित रहें | कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ | विशिष्ट वक्ता,मुख्य अतिथि, विभागाध्यक्ष एवं संकाय के सदस्यों ने दीप प्रज्ज्वलित किया | एम०ए० तृतीय सेमेस्टर की छात्रा दीर्घा ने सरस्वती वंदना की | विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर बैजनाथ प्रसाद ने कुलाधिपति एवं कुलपति को अंगवस्त्र भेंट कर उनका स्वागत किया | प्रोफ़ेसर अशोक कुमार ने विशिष्ट वक्ता प्रोफ़ेसर हरमहेन्द्र सिंह बेदी का अकादमिक परिचय सबके समक्ष प्रस्तुत किया | विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर राज कुमार का शैक्षिक, अकादमिक एवं आत्मीय व्यक्तिव का परिचय विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर बैजनाथ प्रसाद ने साझा किया | इसके पश्चात् कुलपति प्रोफ़ेसर राज कुमार ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि भाषा राष्ट्र की जुबान होती है | यदि हम भाषा के मामले में कमजोर हैं तो हम किसी भी क्षेत्र में मजबूत नहीं हो सकते हैं | कोई भी विकसित श्रृंखला में खड़ा राष्ट्र विकास का स्वरूप मातृभाषा से ही प्राप्त करता है | भारत जैसे विविधता वाले देश में भाषा की जानकारी ज़रूरी है अन्यथा हम नासमझ हैं | इसके पश्चात् प्रोफ़ेसर हरमहेन्द्र सिंह बेदी ने निर्धारित विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि मातृभाषा के साथ जितनी भाषाएँ हम सीखते हैं वह हमारी उपलब्धि है | आज पूरा विश्व हिन्दी के साथ जुड़ना चाहता है | एशिया के देशों की सबसे बड़ी भाषा हिन्दी है | ऋग्वेद पंजाब की धरती पर लिखा गया | उस समय पंजाब को सप्तसिंधु कहते थे | संयुक्त राष्ट्र ने ऋग्वेद को विश्व की विरासत माना है | ऋग्वेद के बिना पंजाब और भारत को नहीं समझा जा सकता है | पाणिनि पंजाब के थे | पंजाब ने बहुत बड़ा अवदान हिन्दी भाषा को दिया है| हिन्दी साहित्य के 11 वीं एवं 12 वीं शताब्दी के विपुल साहित्य में पंजाब के नाथों का हस्तक्षेप रहा है | श्री गुरु  ग्रन्थ साहिब के 36 बाणीकारों में से 30 हिन्दी के हैं | कबीर को समझने के लिए श्री गुरु ग्रन्थ साहिब को समझने की ज़रूरत है | पहला साहित्य का संवाद पंजाब से  ही उठा और पूरे भारत को प्रभावित किया | अपने वक्तव्य  के अंतर्गत उन्होंने श्रद्धाराम फिल्लोरी,श्री गुरु गोबिंद सिंह एवं अन्य साहित्यकारों के योगदान पर चर्चा की | अंत में विभागाध्यक्ष ने विशिष्ट वक्ता, मुख्य अतिथि, संकाय के सदस्यों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित किया |