मानवीय संवेदनाओं के विकास में साहित्य का विशेष योगदानः कुलपति प्रो. राजबीर सिंह

लेखक मधुकांत सहित अन्य लेखकों की पुस्तकों का लोकार्पण किया।

मानवीय संवेदनाओं के विकास में साहित्य का विशेष योगदानः कुलपति प्रो. राजबीर सिंह

रोहतक, गिरीश सैनी। साहित्य मनुष्य को मानवीयता की ओर प्रेरित करता है। मानवीय संवेदनाओं के विकास में साहित्य का विशेष योगदान है। विश्वविद्यालयों तथा समाज में पठन-पाठन-लेखन तथा साहित्य अभिरूचि की संस्कृति विकसित करने की जरूरत है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने विवेकानंद पुस्तकालय में आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में ये विचार रखे।

इस लोकार्पण समारोह में लेखक मधुकांत की पुस्तक भूले-बिसरे प्रेम पत्र, लोक साहित्यकार लेख राज चौहान की पुस्तक गागर में सागर तथा शिक्षक-लेखक कृष्ण लाल की पुस्तक लाइफ का लोकार्पण कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने किया।

कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने इन तीनों पुस्तकों के लेखकों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस शैक्षणिक सत्र में एमडीयू में साहित्योत्सव मनाया जाएगा। उनका कहना था कि एमडीयू के विद्यार्थियों को सृजनात्मक लेखन के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसी उद्देश्य से इस मंच की स्थापना की गई है। उन्होंने यूनिवर्सिटी लाइब्रेरियन डॉ. सतीश मलिक तथा उनकी टीम की इस आयोजन के लिए सराहना की।

लाइब्रेरियन डॉ. सतीश मलिक ने स्वागत भाषण देते हुए इन लोकार्पित होने वाले पुस्तकों के लेखकों बारे बताया। डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि पुस्तकें मनुष्य (लेखकों) को जीवन उपरांत भी जीवित रखती हैं। सदियों तक प्रभावशाली पुस्तक तथा उनके लेखकों की चर्चा समाज, राष्ट्र, विश्व में रहती है।

पुस्तक लेखक लेखराज चौहान तथा कृष्ण लाल ने समारोह में अपने-अपने पुस्तकों बारे विस्तार से जानकारी दी। शिक्षाविद लेखक शाम लाल कौशल ने डॉ. मधुकांत की पुस्तक बारे विस्तृत ब्यौरा दिया। कार्यक्रम संचालन डिप्टी लाइब्रेरियन डॉ. सीमा देसवाल ने किया। उन्होंने पुस्तक लोकार्पण समारोह की जानकारी दी। आभार प्रदर्शन निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी ने किया। उन्होंने कहा कि पुस्तक संस्कृति को पुष्पित-पल्लवित करने की सख्त जरूरत है। इस अवसर पर उन्होंने कविता पाठ भी किया।

इस कार्यक्रम में डीन, स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. रणदीप राणा, प्रो. कृष्णा जून, डॉ. सुनीता सैनी, प्रो. प्रदीप, डॉ. प्रतिमा, डॉ. योगेन्द्र सिंह, डॉ. सौरभ कांत समेत लेखकों के परिजन, पुस्तकालय कर्मी, शोधार्थी-विद्यार्थी मौजूद रहे। तीनों पुस्तक लेखक डॉ. मधुकांत, लेखराज चौहान तथा कृष्ण लाल की गरिमामयी उपस्थिति कार्यक्रम में रही।