अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने दृश्य कला संस्कृति तथा रीति-रिवाज के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने दृश्य कला संस्कृति तथा रीति-रिवाज के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला

रोहतक, गिरीश सैनी। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के दृश्य कला विभाग तथा यौगिक अध्ययन केन्द्र के तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे- भारतीय तपस्वी परंपराएं: पाठ्य-सामग्री, रीति-रिवाज तथा दृश्य संस्कृति विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रतिष्ठित वक्ताओं ने दृश्य कला संस्कृति तथा रीति-रिवाज के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला।

यौगिक अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि रीति-रिवाज संबंधित तकनीकी सत्र में महाराष्ट्र से आए महंत डा. योगी विलासनाथ जी ने नाथ योगियों के संबंधित रीति रिवाज तथा दृश्य कला विभाग की डा. अंजलि दूहन ने बाबा मस्तनाथ मठ की परंपराओं बारे बताया। सत्र संचालन डा. अमोल बानकर ने किया।

दृश्य संस्कृति सत्र में प्रो. नुजहत काजमी, जेएमआई, दिल्ली ने मुगलकालीन दृश्य कला में सूफी संतों के चित्रण बारे व्याख्यान दिया। पुर्तगाल से आई डा. डैनियला ने सत्र अध्यक्षता की। कर्नल योगेंद्र सिंह, कलकत्ता से प्रो. स्वाति विस्वास, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज से डा. निकिता राठौर, तथा जेएनयू से शिवानी डबराल ने तकनीकी सत्रों में शोध आलेख प्रस्तुत किए। भारतीय तपस्वी परंपरा के विविध पहलुओं पर संगोष्ठी में गहन मंथन हुआ। गत शाम पंजाब से आए प्रो. राजीव मैकमूलन की अघोरियों एवं जीवन एवं रीति रिवाजों पर आधारित फिल्म भी दिखाई गई।