समाचार विश्लेषण/सोनू सूद और राबर्ट वाड्रा नये मुद्दे 

समाचार विश्लेषण/सोनू सूद और राबर्ट वाड्रा नये मुद्दे 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 

किसान आंदोलन के बीच और खासतौर पर ट्रैक्टर परेड के बीच नये मुद्दे हैं अभिनेता सोनू सूद और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा । किसानों ने अपनी ताकत दिखाई टैक्टर परेड करके और जता दिया कि वे खाली हाथ वापस नहीं जाने वाले । ऐसे संकेत भी मिलने लगे कि राज्य सरकारों पर तीन नये कृषि कानून लागू करने या न करने की बात छोड़ी जा सकती है । सीधे तौर पर हार मानना मुश्किल है । इसीलिए कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि किसानों से वार्ता को जीत हार से न जोड़े केंद्र सरकार । कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष सैलजा का कहना है कि बातचीत के नाम पर सरकार किसानों से छलावा कर रही है । एक पूर्व विधायक ने भाजपा छोड़ दी । यानी किसान आंदोलन के साइड इफेक्ट्स आने शुरू हो चुके हैं । हो रहा है असर धीरे धीरे ।

बात करते हैं सोनू सूद की जिन्हें सब तरफ से वाहवाही मिल रही है जो महाराष्ट्र सरकार और उसमें भी शिवसेना को हजम नहीं हो रही । इसीलिए बीएमसी ने सोनू सूद को नोटिस दिया है कि आवासीय क्षेत्र को होटल में क्यों बदल लिया ? एक हीरो के साथ विलेन वाला सलूक ? आपको पता है न कि यह वही बीएमसी है जिसने बिहार पुलिस के अधिकारियों को मुम्बई आते ही कोरोना के नाम पर आइसोलेशन में भेज दिया था सुशांत मामले में । 
सीबीआई के तोते की तरह बीएमसी महाराष्ट्र सरकार के तोते का काम कर रही है । बीएमसी महाराष्ट्र सरकार के इशारे पर तुरंत हरकत में आ जाती है । असल में सोनू सूद ने जो महाराष्ट्र सरकार की सहायता के बिना कर दिखाया उससे वे सरकार की आंखों के सितारे नहीं बल्कि आखों की किरकिरी बन गये । बस । समय पाते ही नोटिस थमा दिया गया । अब तक वे खलनायक हैं महाराष्ट्र सरकार की नज़र में । 

राबर्ट वाड्रा को फिर से पूछताछ के लिए बुलावा आया है और राबर्ट ने पहली बार इस पर अपनी नाखुशी जाहिर करते कहा कि चूंकि मैं गांधी परिवार से जुड़ा हूं , इसलिए मेरे साथ राजनीति की जा रही है और किसान आंदोलन से ध्यान हटाने के लिए नये सिरे से पूछताछ शुरू की गयी है और यदि यह सिलसिला जारी रहा तो वे सीधे राजनीति में आकर इसका जवाब देंगे । उनके पास इससे ज्यादा और कोई हल नहीं कि संसद में जाकर जवाब दूं  यानी राजनीति में प्रवेश के सीधे सीधे संकेत दे दिये । उनका कहना है कि अपनी लड़ाई अब संसद में प्रवेश करने के सिवाय और कोई चारा नहीं । इस तरह अगले चुनाव में गांधी परिवार से जुड़ा यह सदस्य मैदान में होगा । राबर्ट कह भी रहे हैं कि चुनाव प्रचार का काफी अनुभव होने के नाते चुनाव लड़ने की सोच सकते हैं । 

चलिए । ट्रैक्टर यात्रा के बीच इस नये नेता का अवतरण हो गया और सोनू सूद महाराष्ट्र  सरकार की नज़र में खलनायक ही है , नायक नहीं ।
चलते चलते हरियाणा सरकार ने राकी मित्तल की जगह गजेंद्र फौगाट को दे दी । किसी का नुक्सान तो किसी का फायदा । है न । होता है न ?