समाचार विश्लेषण/कहीं खुशी, कहीं गम

समाचार विश्लेषण/कहीं खुशी, कहीं गम
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
एक डाॅयलाग है अमिताभ बच्चन की फिल्म का, जब वे हीरो के रूप में मंदिर जाते हैं और एंग्री यंगमैन के रूप में कहते हैं कि खुश तो बहुत होंगे तुम  भगवान् कि मैं तुम्हारे पास आया ...वगैरह वगैरह । अब आज यही कहने का मन हो रहा है कि खुश तो बहुत होंगे हमारे भाजपा नेता कि किसान आंदोलन आखिरकार हरियाणा आ ही गया । करनाल में बैठ गये किसान मोर्चा लगाकर । कब से यह खतरे की घंटी बज रही थी कि किसान आंदोलन हरियाणा में शिफ्ट होने का डर है क्योंकि जिस तरह से कभी हिसार , कभी सिरसा , टोहाना , झज्जर तो अब करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज किया जा रहा था उससे ये संकेत मिल रहे थे कि यह आंदोलन दिल्ली के बाॅर्डरों से हरियाणा में दस्तक दे रहा है । सरकार ने कोई कोशिश नहीं की बल्कि एसडीएम करनाल को सिर्फ ट्रांस्फर करके किसानों को और चिढ़ाया । ट्रांस्फर भी नहीं बल्कि थोड़ी प्रमोशन दी जिससे साफ पता चल गया कि एसडीएम ने अपने मन से नहीं किसी दूसरे के मन की मुराद पूरी की है किसानों के सिर फोड़ने के आदेश देकर । अब भी कहते हैं कि सारी बात सुलझने वाली थी कि एसडीएम पर कार्यवाही करने की मांग पर अटक गयी और मोर्चा करनाल में लग गया । अब तो कहीं खुशी , कहीं गम वाली पिक्चर शुरू हो गयी । सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि कांग्रेस और गुरनाम सिंह चढूनी इसे हवा दे रहे हैं ।  यह आंदोलन पंजाब से शुरू हुआ और हरियाणा में चढ़ूनी को कांग्रेस से मदद मिली और यह भड़क गया । क्या इसमें हरियाणा सरकार की कोई गलती नहीं ? किसानों के सिर फोड़ देने के आदेश कर देना कहां की अच्छाई है ? किसानों को इस तरह पीटने और केस दर्ज करते रहने से क्या आंदोलन खत्म होने की उम्मीद की जा सकती है ? सरकार को दिल्ली में बैठे अपने बड़े नेताओं को यह कहना पड़ेगा कि वार्ता के द्वार खोलिए और मसला हल कीजिए । इस तरह चुप रहने से मामला खत्म होने वाला नहीं । उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी कहते जा रहे हैं कि मैं मध्यस्थता करूंगा किसान नेताओं व सरकार के बीच बातचीत की और आगे बढ़ते नहीं । जनाधार किसका खिसक रहा है ? देर होती जा रही है और मामला भड़कता जा रहा है । 
अब तो करनाल में टैंट भी लग गये और मोर्चा भी । अब तो बहुत खुश होंगे न तुम...कहीं खुशी , कहीं गम ...न जुदा होगे हम ...राजनीति और आंदोलन ...पर अक्लमंदी इसी मे भी कि इसे दिल्ली वापस लौटा दो ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।