साहित्य पर्व पर कुछ जरूरी बातें 

साहित्य पर्व पर कुछ जरूरी बातें 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
हरियाणा सरकार की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कल हिंदी , पंजाबी, उर्दू , संस्कृत के कुल 138 साहित्यकारों को चंडीगढ़ के टैगोर ऑडिटोरियम में आयोजित एक भव्य समारोह में सम्मानित किया । कुछ कोरोना के चलते तो कुछ राजनीतिक व्यस्तताओं के चलते ये पुरस्कार पिछले कुछ वर्षों से घोषित तो किये गये लेकिन समारोह न हो पाये । अब सभी अकादमियों के सभी 138 साहित्यकारों को एकसाथ सम्मान देकर यह साहित्य पर्व मनाया गया । इस साहित्यिक यज्ञ के लिए बधाई तो बनती है । पांचों अकादमियां सक्रिय हैं । यह भी खुशी की बात है ।
कहा भी जाता है कि जहां साहित्य की बात चलती है , जहां कला व संस्कृति की उपासना होती है , वहां संस्कारवान नागरिक होते हैं । हरियाणा तो वैसे भी गीता की रचना का प्रदेश है । हरि का आना यानी हरियाणा । हरियाणा की अकादमियों को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और डाॅ कृष्ण कुमार खंडेलवाल तो अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व डाॅ अमित कुमार अग्रवाल का वरद हस्त और मुक्त हस्त मिला ।  मुख्यमंत्री खट्टर ने स्वयं कवितायें भी सुनाईं और बहुत प्रेरित किया लेखकों को । कभी अकादमियों को बजट की चिंता नहीं सताई । एक पूरे भवन में पांच अकादमियां एक ही छत के नीचे काम कर रही हैं । खुद मुझे लगभग सवा तीन साल हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष का कार्यभार मिला तो बहुत कुछ जानने को मिला और करने का अवसर मिला । दो दो पत्रिकायें -कथा समय और सप्तसिन्धु को संपादित करने का अवसर मिला और हरियाणा की सभी यूनिवर्सिटीज में जाकर हिंदी व पत्रकारिता विभाग के छात्रों से संवाद रचाने का अवसर मिला और नवलेखन अंक दे पाया । 
आज हरियाणा की अकादमियां दूसरे राज्यों के लेखकों के लिए ईर्ष्या का विषय है तो हमारे लिए गौरव का , जो इतनी सुविधाएं लेखकों को दी जा रही हैं । उन सुविधाओं की मांग पडोसी राज्य हिमाचल के लेखक कर रहे हैं । हर सम्मानित लेखक को राज्य सरचार की परिवहन विभाग की बसों में आजीवन मुफ्त यात्रा , पांडुलिपियों के प्रकाशन के लिए बढ़ती राशि , पुरस्कार व सम्मान राशि बढाकर देना और अब मुख्यमंत्री ने एक अच्छी घोषणा की है कि सभी अकादमियों के सम्मान एक समान करने पर विचार चल रहा है । इसी प्रकार प्रदेश के गौरव रहे बाबू बालमुकुंद गुप्त की गुडियानी गांव में स्थित पैतृक हवेली में ई-लाइब्रेरी स्थापित करने की घोषणा । यह भी ध्यान दिलाना चाहूंगा कि इस हवेली के जर्जर अवस्था में होने के समाचार आते रहे हैं , इस ओर भी ध्यान दीजिए और हरियाणा ग्रंथ अकादमी की जो दो पत्रिकायें पहले प्रकाशित होती थीं , उनका प्रकाशन भी शुरू किया जाये । सबसे बड़ी बात कि पुरस्कार /सम्मान हर वर्ष प्रदान किये जायें क्योंकि लेखकों की फेसबुक वाॅल से पता चलता रहा कि सम्मान राशि के चैक घर भिजवा दिये गये थे । ये सम्मान प्रतिवर्ष दिये जायें जिससे लेखकों को इंतज़ार न करना पड़े और वे पूरे जोश से नये से नयी रचनाएं लिखते रहें । अकादमी भवन में एक काॅफी हाउस बनवाया जाये जिससे लेखकों का आकर्षण और बढ़ जायेगा । हर माह कवि गोष्ठियों के आयोजन का सिलसिला भी फिर से शुरू किया जा सकता है क्योंकि अब कोरोना की सारी पाबंदियां हटा ली गयी हैं ।
पहले भोपाल और भारत भवन चर्चा में रहते थे । अब हरियाणा इससे भी आगे निकल सकता है । 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।