समाचार विश्लेषण/सिंधू हम हैं हिंदुस्तानी और दिल भी  है हिंदुस्तानी 

समाचार विश्लेषण/सिंधू हम हैं हिंदुस्तानी और दिल भी  है हिंदुस्तानी 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
आखिर हमारी पी वी सिंधू ने ओलम्पिक में लगातार दूसरी बार पदक दिलवाया।  यह अलग बात है कि सारा देश और खुद सिंधू स्वर्ण पदक की आस लगाये थी । वह सपना जरूर पूरा नहीं हुआ लेकिन सिंधू का कहना है कि नहीं जानती कि इस कांस्य पदक पर खुशी जताऊं या दुख पर इतना है कि देश के लिए पदक तो जीत लिया । अब मैं कुछ समय घर जाकर इंजाॅय करना चाहती हूं । 
मैं भी उस दिन उदास हुआ था जिस दिन सिंधू सेमीफाइनल का रास्ता तय नहीं कर पाई थी । करोड़ों हिंदुस्तानियों की तरह मेरी आंखें भी नम हुई थीं लेकिन फिर भी दिल है हिंदुस्तानी । कल जब सिंधू ने कांस्य जीता तब खुशी से झूम उठा हर हिंदुस्तानी । यह कीर्तिमान तो बना ही दिया कि ओलम्पिक में दो बार पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनी सिंधू । जैसे वंदना वे पहली बार किसी महिला हाॅकी खिलाड़ी बन क, हैट्रिक लगाई ।  बधाई । सौ सौ बार बधाई सिंधू । बधाई वंदना।  देश का गौरव बढ़ाने के लिए ।
दूसरी ओर हमारी राष्ट्रीय खेल मानी जाने वाली हाॅकी टीम ने भी खुश होने और नाचने के लिए मौका बना दिया । ब्रिटेन को हरा सेमीफाइनल में जगह पक्की करके । कितने दशकों बाद सेमीफाइनल तक पहुंचे हम । सब देशों को हाॅकी स्टिक पकड़ना हमने ही सिखाया और कभी चौबीस चौबीस गोलों से हराने वाली टीम इतनी पीछे रह गयी कि ओलम्पिक क्वालिफाई करने को ही पदक के बराबर मानने लगे थे हम । आखिर हाॅकी का स्वर्ण काल याद दिलाने के लिए शुक्रिया इस टीम के खिलाडियों का । फिर से हाॅकी के दिन फिरेंगे । ऐसी उम्मीद बन गयी है । आगे देखते हैं । इसी हाॅकी को स्पांसरशिप के लाले पड़े रहे और यूनिफाॅर्म के भी । एक ही स्टार निकला धनराज पिल्लै जिसे विज्ञापन मिले । क्रिकेट खिलाड़ी तो विज्ञापनों से ही करोड़ों कमा लेते हैं । हाॅकी खिलाडियों को विज्ञापनों में भी जगह नहीं । फिर इस हाॅकी को लौटा लाने वाली टीम को सैल्यूट तो बनता है न ।
मुक्केबाजी में बेशक मेरिकाॅम खाली हाथ लौटी लेकिन उसके जज्बे ने दिल जीत लिया । ऐसे ही एक मुक्केबाज टांके लगे होने के बावजूद रिंग में उतरा और उसने हार के बावजूद ज्ज्बा दिखाया । सलाम । 
ओलम्पिक से और कहानियां भी आएंगी और आती रहेंगी क्योंकि कीर्तिमान टूटने के लिए बनते हैं । बनते रहेंगे और टूटते रहेंगे । याद रहेंगी कहानियां।  नयी लिखी जायेंगी कहानियां ,,, 
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।