लघुकथा/शाॅर्टकट

लघुकथा/शाॅर्टकट
कमलेश भारतीय।

-भाई साहब , ज़रा रेलवे स्टेशन तक जाने के लिए कोई शाॅर्टकट,,,
- शाॅर्टकट तो है पर ,,,
-पर क्या ? जल्दी बताइए न ।
-आप उस रास्ते से नाक पर रूमाल रख कर और दीवारों का सहारा लेकर पांव रखकर ही जा सकोगे । आपको लगेगा कि अब गिरे ,,,अब कीचड़ में फंसे ,,,कब जाने ,,,क्या हो जाए ,,,
- शाॅर्टकट की ऐसी हालत क्यों ?
- क्योंकि आपकी तरह हर कोई शाॅर्टकट ही इस्तेमाल करता है । बड़े रास्ते से होकर , चक्कर काट कर कोई जाना नहीं चाहता । पर ठहरिए ,,,
-हां , कहिए ।
- बुरा तो नहीं मानेंगे ?
- अरे भाई जल्दी कहो न । मुझे गाड़ी पकड़नी है । छूट जाएगी ।
-यही बात ज़िंदगी पर लागू नहीं होती ?
- सो कैसे ?
- अब देखो न । सफलता की गाड़ी हर कोई पकड़ना चाहता है और इसके लिए हर आदमी शाॅर्टकट अपना रहा है । चाहे शाॅर्टकट कितना ही ,,,
- बस । बस । अपने उपदेश अपने पास रखो । जनाब मुझे भी सफलता चाहिए । 
-तो चलते चलते इतना तो सुनते जाइए कि मेहनत का कोई शाॅर्टकट इस दुनिया में नहीं है ।
-कमलेश भारतीय