पर्यावरण-प्रदूषण - कारण, प्रभाव और निदान की राह विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित
रोहतक, गिरीश सैनी। पर्यावरण संरक्षण तथा प्रदूषण रोकथाम के लिए व्यक्तिगत प्रयासों के साथ-साथ सामूहिक नागरिक प्रयासों की सख्त जरूरत है। जब तक आम नागरिकों में पर्यावरणीय चेतना जागृत नहीं होगी और जब तक उपभोक्तावादी जीवन शैली में परिवर्तन नहीं किया जाएगा, तब तक पर्यावरण संरक्षण तथा प्रदूषण रोकथाम का कार्य अधूरा रहेगा। इस आशय के विचार सप्तरंग संस्थान तथा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), रोहतक के संयुक्त तत्वावधान में विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने साझा किए। गोष्ठी का विषय - पर्यावरण प्रदूषण कारण, प्रभाव और निदान की राह रहा।
बतौर मुख्य वक्ता, पं. बीडीएस आयुर्विज्ञान संस्थान एवं स्वास्थ्य विवि के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. ध्रुव चौधरी ने कहा कि आज का पर्यावरणीय संकट मनुष्य जनित अधिक है। इससे न केवल मनुष्य बल्कि पौधे पेड़ तथा जीव जंतु भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से वायु प्रदूषण की वजह से बढ़ रहे सांस के रोग, कंजक्टिवाइटिस, ब्रोंकाइटिस, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज संबंधित रोग आदि की विस्तृत चर्चा की। साथ ही फेफड़ों के कैंसर की बढ़ती संख्या की ओर भी इंगित किया।
एमडीयू के पर्यावरण विज्ञान विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. राजेश धनखड़ ने वायु जल तथा मृदा प्रदूषण के बारे में जानकारी देते हुए घर पर पर्यावरण की रोकथाम के उपायों की चर्चा की। समाज राष्ट्र में पर्यावरणीय जागरूकता के महत्व पर उन्होंने जोर दिया। पीजीआइएमएस रोहतक के कार्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक प्रो. अश्विनी ने पर्यावरणीय कारणों विशेष रूप से प्रदूषण की वजह से होने वाले हृदय रोग संबंधित जानकारी साझा की। प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. रवि मोहन ने कहा कि मनुष्य तथा पर्यावरण के मध्य सामंजस्य की आवश्यकता है।
बतौर विशिष्ट अतिथि, प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. अरुण नरूला ने कहा कि बुजुर्गों के साथ-साथ युवा वर्ग और बच्चे भी प्रदूषण जनित रोगों का शिकार बन रहे हैं, जो बेहद चिंताजनक है। आईएमए, रोहतक की अध्यक्षा डॉ. आरती साहू ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण तथा पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम के प्रति समस्या निवारण रूपी संवाद की जरूरत है।
कार्यक्रम का संचालन शिक्षाविद डॉ. रमणीक मोहन ने तथा समन्वयन परविंदर पाल ने किया। वायु प्रदूषण संबंधित नोडल अधिकारी डॉ. सुशीला गोदारा, चिकित्सक डॉ. ईश्वर सिंह, प्रो. महेश गुप्ता, पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ. जसमेर, कुदरती खेती एक्टिविस्ट प्रो. राजेंद्र चौधरी सहित अन्य लोगों ने भी अपने इनपुट्स दिए। इस गोष्ठी में चिकित्सक, एक्टिविस्ट, शिक्षक, लेखक व शहर के प्रबुद्ध नागरिक शामिल हुए।
Girish Saini 

