विकसित भारत 2047 की राह में सुरक्षा, तकनीक और सामाजिक संतुलन जरूरीः आईआईएम निदेशक प्रो. शर्मा
रणनीतिक सुरक्षा से लेकर टेक्नो-इकोनॉमिक और सामाजिक चुनौतियों पर हुआ मंथन।
रोहतक, गिरीश सैनी। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), रोहतक में शनिवार को आयोजित नेशनल सिम्पोजियम 2025 में विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को लेकर मंथन हुआ।
आईआईएम रोहतक के निदेशक प्रो. धीरज शर्मा ने कहा कि भारत का विकसित राष्ट्र बनना केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके लिए सुरक्षा, तकनीक, सामाजिक संतुलन और नागरिक सोच का विकसित होना भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि वैश्विक सुरक्षा को मजबूत करने की कोशिशें कई बार नई जटिलताएं पैदा कर देती हैं। डिजिटल इंडिया की दिशा में हो रही तेज प्रगति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि डिजिटल और वित्तीय साक्षरता के बीच असंतुलन से आम नागरिक वित्तीय जोखिमों के प्रति ज्यादा असुरक्षित हो रहा है। उन्होंने विकसित भारत 2047 के लिए फिनटेक के बेहतर और जिम्मेदार उपयोग, आत्मनिर्भरता, घरेलू उत्पादन और वोकल फॉर लोकल की भावना के साथ नागरिकों की भागीदारी पर जोर दिया।
रणनीतिक सुरक्षा चुनौतियां- सत्र में ले. जनरल ए.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि किसी भी देश की समृद्धि की नींव मजबूत आंतरिक और बाहरी सुरक्षा व्यवस्था पर टिकी होती है। ले. जनरल फिलिप कैंपोज़ (सेवानिवृत्त) ने कहा कि असली सुरक्षा केवल सैन्य ताकत से नहीं, बल्कि विकास और नागरिकों के कल्याण से तय होती है। पूर्व राजदूत मीरा शंकर ने आगाह किया कि विकसित भारत की राह एक अत्यंत प्रतिस्पर्धी वैश्विक माहौल में तय होगी, जहां आर्थिक आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है।
टेक्नो-इकोनॉमिक चुनौतियां- सत्र में उद्योग और तकनीक क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि केवल डिजिटल नेटवर्क खड़े करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि मौजूदा डिजिटल ढांचे का प्रभावी उपयोग जरूरी है। वक्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सप्लाई चेन, साइबर सुरक्षा, डेटा संप्रभुता, शोध को उद्योग से जोड़ने और ऑटोमेशन के दौर में कार्यबल को तैयार करने पर जोर दिया। सामाजिक-राजनीतिक चुनौतियां- सत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता शिखिल सूरी और अन्य विशेषज्ञों ने कहा कि समावेशी विकास के बिना विकसित भारत की कल्पना अधूरी है। वक्ताओं ने जनसंख्या के वृद्ध होने, लैंगिक असमानता, सामाजिक विषमताओं और मजबूत संस्थाओं की आवश्यकता पर चर्चा की। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
Girish Saini 


