स्कूली बच्चों को बाल विवाह निषेध व पॉक्सो अधिनियम बारे किया जागरूक

स्कूली बच्चों को बाल विवाह निषेध व पॉक्सो अधिनियम बारे किया जागरूक

रोहतक, गिरीश सैनी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश नीरजा कुलवंत कलसन एवं सीजेएम डॉ. तरन्नुम खान के निर्देशानुसार कलानौर स्थित राजकीय कन्या वरिष्ट माध्यमिक विद्यालय में बाल विवाह निषेध अधिनियम और पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चो का संरक्षण) अधिनियम 2012 पर जिला संरक्षण अधिकारी करमिंद्र कौर और डीएलएसए रोहतक ने संयुक्त जागरूकता सत्र आयोजित किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और इन गंभीर मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाना रहा।

जिला संरक्षण अधिकारी करमिंद्र कौर ने बाल विवाह के सामाजिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दुष्परिणामों पर चर्चा करते हुए बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की लडक़ी और 21 वर्ष से कम उम्र के लडक़े का विवाह कानूनी रूप से अमान्य है और ऐसा करना एक दंडनीय अपराध है। उन्होंने ऐसे किसी भी मामले की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को देने का आग्रह किया ताकि समय रहते आवश्यक कार्रवाई की जा सके और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।

इस दौरान पॉक्सो अधिनियम 2012 के बारे में भी बताया गया कि यह अधिनियम बच्चों को यौन उत्पीड़न और यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया है। बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। प्राचार्य देवेंद्र कटारिया ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस दौरान एमडीडी के जिला कोऑर्डिनेटर सुभाष चंद्र, डॉ. अल्का मदान, एकता कत्याल, मधु मल्होत्रा सहित विद्यार्थी मौजूद रहे।