दोआबा कालेज में सेव स्पैरोस प्रोजेक्ट स्थापित 

दोआबा कालेज में सेव स्पैरोस प्रोजेक्ट स्थापित 
दोआबा कॉलेज में सेव सपैरोस प्रोजेक्ट की स्थापना करते हुए प्रिं. डा. प्रदीप भंडारी, प्रो. संदीप चाहल, प्राध्यापकगण व विद्यार्थी।

जालन्धर, 24 अगस्त, 2022:दोआबा कालेज में एनजीओ दस्तक वेल्फेयर काऊँसिल- (पँछिओं के संरक्षण की अग्रणी संस्था) द्वारा कॉलेज के ईको क्लब के सहयोग से कॉलेज के बोटैनीकल गार्डन में सेव स्पैरोस प्रोजेक्ट लगाया गया जिसमें प्रिं. डा. प्रदीप भंडारी बतौर मुख्य मेहमान उपस्थित हुए जिनका हार्दिक अभिनंदन प्रो. संदीप चाहल- प्रधान एनजीओ दस्तक, डा. अश्वनी कुमार व डा. शिविका दत्ता- संयोजक ईको क्लब, डा. राकेश कुमार- विभागध्यक्ष बॉटनी व बीएससी के विद्यार्थियों ने किया। प्रिं. डा. प्रदीप भंडारी ने कहा कि कॉलेज में 2014 से एनजीओ दस्तक द्वारा कॉलेज में मौजूद बढिय़ा वातावरण के सूचक पँछियों- गोरईया अथवा चिडिय़ा, ग्रीनबीईटर, हूपू अथवा हुड़हुड़ (पंजाब के पूर्व राज्य पक्षी), ड्रॉंगों, बया पक्षी अथवा बिजड़ा आदि पर विद्धार्थियों के सहयोग से कार्य कर रही है। इसके अन्तर्गत ही कॉलेज में सेव स्पैरो•ा प्रोजेक्टइसके तहत घरैलू चिडिय़ा अथवा गोरिया के लिए वॉटर एवं ट्रमाईट प्रूफ लकड़ी के विशेष घौंसलों की स्थापना की गई है। प्रिं. डा. प्रदीप भंडारी ने बताया कि ईको क्लब के स्दस्यों अथवा विद्यार्थियों को एनजीओ दस्तक की तरफ से 15 दिवस के विशेष बर्ड वाचिंग टैक्नीकस पर शार्ट ट्रम कोर्स करवाया जाएगा। 
प्रो. संदीप चाहल ने विद्यार्थियों को पक्षी गोरईया अथवा चिडिय़ा की महत्ता के बारे में बताते हुए कहा कि यह भूचाल आने की पूर्व सूचना ज्यादा चह चहाकर दे देते हैं जिसके कारण पक्षी विज्ञानी इसे बढिय़ा वातावरण का सूचक मानते हैं। प्रो. चाहल ने कहा कि जिन ईलाको में चिडिय़ा अपने घोंसले बनाती है वह ईलाके मोबाईल टावरों की ईलेकट्रोमेगनेटिक रेडिएशन से रहित होते हैं इसीलिए पुराने समय में जब मोबाईल फोन नहीं होते थे तो पंजाब को चिडिय़ा का चम्बा कहा जाता था।