ईश्वर-प्राप्ति के परम उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन करते हैं संतः राजिंदर सिंह महाराज
रोहतक में सत्संग व नाम दान कार्यक्रम आयोजित।

रोहतक, गिरीश सैनी। प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख, संत राजिंदर सिंह महाराज के सत्संग एवं नाम दान कार्यक्रम में भाग लेने के लिए देश-विदेश से हज़ारों साधक रोहतक की नई अनाज मंडी में एकत्रित हुए। प्रवचन से पूर्व माता रीटा ने गुरु अर्जन देव जी महाराज द्वारा रचित शब्द; "दर्शन मांगू देह प्यारे" का गायन किया।
अपने प्रवचन में, संत राजिंदर सिंह ने संतों की महिमा और मानवता को ईश्वर के प्रेम व प्रकाश से जोड़ने में उनकी भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे संत हमारी आत्माओं को उसके दिव्य सार के प्रति जागृत करते हैं और हमें ईश्वर-प्राप्ति के परम उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन करते हैं।
गुरु अर्जन देव जी महाराज के शब्द की व्याख्या करते हुए, संत राजिन्दर सिंह ने बताया कि कैसे मनुष्य इस माया के संसार में उलझकर अपनी आत्मा के वास्तविक रूप को भूल जाते हैं। उन्होंने आगे बताया कि हमारी आत्मा, जो युगों-युगों से सृष्टिकर्ता से बिछुड़ी हुई है।
सत्संग उपरांत संत राजिन्दर सिंह ने सैकड़ों नए साधकों को आध्यात्मिक दीक्षा (नाम दान) प्रदान की। इस दौरान, सावन कृपाल रूहानी मिशन की रोहतक शाखा की ओर से एक रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। साथ ही निशुल्क वस्त्र वितरण शिविर का भी आयोजन किया, जिसमें जरूरतमंदों को कपड़े, किताबें और जूते वितरित किए गए।
यह संत राजिन्दर सिंह की रोहतक शहर में ग्यारहवीं यात्रा थी। इससे पहले वे 1990, 1992, 1993, 1994, 1997, 2000, 2004, 2012, 2014 और 2018 में रोहतक आ चुके हैं। ध्यान के माध्यम से आंतरिक और बाह्य शांति को बढ़ावा देने के अपने कार्य के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। एक वैश्विक ध्यान के आध्यात्मिक गुरु और सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों के लेखक, संत राजिन्दर सिंह पिछले 35 वर्षों से शांति, प्रेम और मानव एकता का संदेश फैला रहे हैं।