हास्य के नाम पर मंच पर चुटकुले परोसे जाने पर दुख: सुप्रिया ढांडा

हास्य के नाम पर मंच पर चुटकुले परोसे जाने पर दुख: सुप्रिया ढांडा
सुप्रिया ढांडा।

-कमलेश भारतीय 
हास्य के नाम पर मंच पर चुटकुले परोसे जाने पर बहुत दुख होता है और इसीलिए अब हास्य व्यंग्य के मंचों पर जाना ही बंद कर दिया है । मंच पर हास्य के नाम पर कुछ और ही परोसा जाने लगा है । द्विअर्थी संवादों और फूहड़ता से मंच अमर्यादित  होने लगा है । यह कहना है हास्य व्यंग्य कवयित्री सुप्रिया ढांडा का । सुप्रिया का ननिहाल जिला हिसार का गांव मय्यड़ है । जन्म हुआ जींद के निकट संगतपुरा गांव में और पढ़ाई लिखाई फरीदाबाद में ।
 

-ग्रेजुएशन?
-डी ए वी शताब्दी महाविद्यालय फरीदाबाद से ।
-आगे की पढ़ाई?
-एम ए इतिहास राजकीय महाविद्यालय फरीदाबाद से तो एम ए भूगोल विज्ञान  एमडीयू रोहतक से ।
-किन प्रतियोगिताओं में भाग लेती थी ?
-काव्य पाठ , वाद विवाद, भाषण व निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में ।
-पुरस्कार ?
-राष्ट्रीय स्तर पर युवा समारोहों में अनेक पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी के कविता व कहानी लेखन में पुरस्कार ।     
-जाॅब कहां कहां ?
-होडल के राजकीय महाविद्यालय फिर पलवल, फरीदाबाद, आजकल बल्लभगढ़ में इतिहास की असिस्टेंट प्रोफेसर ।
-व्यंग्य में रूचि कैसे ?
-बचपन से ही मेरे पापा आज़ाद सिंह ढांडा मेरे प्रेरक रहे। वे कहते थे कि हास्य व्यंग्य लिखो जिससे कि लोगों का तनाव कम हो व हंसने का अवसर मिले । मैं जो हूं अपने पापा की बदौलत हूं ।
-वे क्या काम करते थे?
-जींद में आजाद पेट्रोल पम्प और फरीदाबाद में वर्कशाप । अब वे नहीं रहे लेकिन उनकी प्रेरणा काम कर रही है । साफ और खरा बोलना उनसे विरासत में मिला ।
-कौन हैं आपके आदर्श लेखक ?
-महादेवी वर्मा और मुंशी प्रेमचंद ।
-हास्य में ?
-अशोक चक्रधर व सुरेंद्र शर्मा  
-हास्य कवि सम्मेलनों पर क्या कहोगी?
-अब दुख होता है क्योंकि कविता के नाम पर चुटकुले परोसे जाते हैं और द्विअर्थी संवाद भी । फूहड़पन की हद पार कर जाते हैं । इतना दुख हुआ कि जाना ही कम कर दिया इन कवि सम्मेलनों में ।
-कहां कहां मंच मिला?
-हिसार दूरदर्शन, आकाशवाणी रोहतक व  दिल्ली के कार्यक्रमों का संचालन व प्रस्तुति । प्रशासनिक कार्यकर्मों का मंच संचालन । ऐसे अनेक मंच मिल रहे हैं । एक कार्यक्रम में तो रोहतक में आप भी हमारे सहयोगियों में थे ।
-आगे का प्लान ?
लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करना है । ग्रामीण परिवेश की छात्राओं में ऐसी ही अनेक सुप्रिया को खोजना और उनका मार्गदर्शन करना।
हमारी शुभकामनाएं सुप्रिया ढांडा को ।