समाचार विश्लेषण/गणतंत्र परेड और राजपथ व जनपथ

समाचार विश्लेषण/गणतंत्र परेड और राजपथ व जनपथ
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
गणतंत्र दिवस पर संभवतः पहली बार न केवल, राजपथ बल्कि जनपथ पर परेड निकलेंगी । राजपथ पर रणबांकुरे परेड करेंगे जैसे करते आये हैं तो जनपथ पर किसान ट्रैक्टर परेड निकालेंगे जो पहली बार होने जा रही है । क्या देश राजपथ और जनपथ में बंट कर रह गया है ? बहुत दुखद है यदि ऐसा ही है तो ? क्यों जरूरत पड़ी किसान या कहिए अन्नदाता को इस ट्रैक्टर परेड की ? सचमुच दुखांत है यह । 

किसान आंदोलन के नेताओं के साथ कम से कम दस दौर की वार्ता के बाद आखिर केंद्र ने वार्ता के द्वार लगभग बंद कर दिये और किसान को अपनी घोषणा के अनुसार ट्रैक्टर परेड करने की तैयारियां करनी ही पड़ीं जिसके लिए वह खुश नहीं लेकिन इसके सिवाय उसके पास कोई चारा भी नहीं रहा । 
पहले सुप्रीम कोर्ट को बीच में लाने की कोशिश की गयी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे कानून व्यवस्था का मामला बता कर पुलिस के सिर पर इसकी जिम्मेवारी डाल दी । आखिर दिल्ली पुलिस को इस ट्रैक्टर परेड की इजाजत देनी पड़ी जिसे किसान आंदोलन की जीत बताया जा रहा है । 

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि कांग्रेस अंग्रेजों की तरह फूट डालो और राज करो की नीति पर चल रही है । अपने शासन के कालखंड को स्मरण करे कांग्रेस और देखे कि कैसे वह शांति नहीं ला सकी थी और आज भाजपा को शिक्षा देने लगी है । क्यों? दूसरी ओर राहुल गांधी कह रहे हैं कि जनता मन की बात सुन कर ऊब चुकी है । अब जनता की परेशानियों को जानने की जरूरत है । उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की परेशानियां न सुन कर उन्हें आतंकी कह रही है । यह कैसे और क्यों हुआ या हो रहा है? 

बहुत दूर क्यों जाना ? अपने हिसार का ही उदाहरण ले लीजिए । एक बच्चे पार्थ की आॅपरेशन के दौरान कथित तौर पर लापरवाही से मृत्यु हो गयी और अभी तक विधायक महोदय या मेयर महोदय उनके घर सांत्वना देने नहीं जा सके । क्यों ? जनता में भारी रोष व्याप्त है । यही बात नीचे से ऊपर तक व्याप्त है । यानी अपने मन की करो । जनता की न सुनो । ऐसे तो राज काज चल नहीं सकता । राज काज तो लोकलाज से चलता है ।जनता ने आपको चुना है अपनी हिफाजत के लिए न कि किसी गूंगे बहरे को चुना जो कुछ सुने ही नहीं । सुनिये जनता का दुख दर्द । फिर वह चाहे दिल्ली का किसान आंदोलन हो या हिसार के पार्थ को न्याय दिलाने का संघर्ष ।