रेमाधव प्रकाशन प्रमुख लेखकों की पुस्तकों का करेगा पुनर्प्रकाशन

∙  रेमाधव ने बहुत ही कम समय में उल्लेखनीय लेखकों सत्यजित राय, उपेंद्रनाथ अश्क, समरेश बसु, विभूति भूषण बंद्योपाध्याय, सुनील गंगोपाध्याय, विजयदान देथा, नृसिंह प्रसाद भादुड़ी, मृदुला गर्ग, मैत्रेयी  पुष्पा, चित्रा मुद्गल, संजीव, चंद्रकांता, मधु कांकरिया जैसे लेखकों को प्रकाशित किया था।

रेमाधव प्रकाशन प्रमुख लेखकों की पुस्तकों का करेगा पुनर्प्रकाशन

∙  रेमाधव प्रकाशन प्रमुख लेखकों की किताबों के प्रकाशन के साथ ही पुस्तक प्रेमियों के लिए महान और नए लेखकों और  साथ ही विभिन्न भारतीय भाषाओं की बेहतरीन कृतियों का अनुवाद हिंदी में लाने के लिए प्रयत्नशील है।

∙  विभिन्न भारतीय भाषाओं के कई नए और महान लेखकों को एक साथ लाया जा रहा है। 

नई दिल्ली। राजकमल प्रकाशन समूह के प्रकाशन रेमाधव ने घोषणा की है कि वह सत्यजित राय सहित प्रमुख  लेखकों के साहित्य को नए रूपाकार के साथ पुनर्प्रकाशित कर नए सिरे से पाठकों के बीच में लाने जा रहे हैं। रेमाधव प्रकाशन का यह संकल्प है कि वह हिन्दी और अन्य भाषाओं के लेखकों की श्रेष्ठ पुस्तकें निरन्तर प्रकाशित करेगा। गौरतलब है कि रेमाधव प्रकाशन का अधिग्रहण कुछ वर्ष पहले देश के अग्रणी हिंदी प्रकाशन राजकमल प्रकाशन समूह ने कर लिया था। राजकमल प्रकाशन समूह का हिस्सा बनने के बाद वह नई ऊर्जा और शक्ति के साथ सक्रिय हुआ है।

रेमाधव एक रचनात्मक सोच का परिणाम है। हिन्दी में लिखे जा रहे उल्लेखनीय साहित्य के साथ-साथ अन्य सभी भारतीय भाषाओं की श्रेष्ठ कृतियों के अनुवाद हिन्दी में प्रकाशित कर पाठकों के लिए उपलब्ध कराना इसका संकल्प है । हिन्दी में बच्चों और किशोरों के लिए अच्छे साहित्य की कमी को दूर करना इस संकल्प का विशेष पक्ष है। इसी कारण अपनी शुरुआत से ही इसने एक तरफ उपेंद्रनाथ अश्क, विजयदान देथा, मन्नू भंडारी, राम कुमार, दूधनाथ सिंह, कामतानाथ, ममता कालिया, मृदुला गर्ग, मधु कांकरिया, उषाकिरण खान और संजीव जैसे प्रतिनिधि हिन्दी लेखकों की किताबें प्रकाशित की तो दूसरी तरफ हिंदीतर भाषाओं के विभूति भूषण बंद्योपाध्याय,  समरेश बसु, सुनील गंगोपाध्याय, नृसिंह प्रसाद भादुड़ी, लिली रे जैसे ख्यात रचनाकारों की किताबें छापीं।

महान फ़िल्मकार सत्यजित राय भारत और दुनिया के लिए जितने बड़े फ़िल्मकार थे, वे उतने ही बड़े बांग्ला के लेखक भी थे। किशोरों और बच्चों के साहित्य में उनका और उनके परिवार का प्रमुख योगदान रहा था। उनकी किताबें बांग्ला से देश और विदेश की विभिन्न भाषाओं में अनूदित हुईं। हिंदी में उनकी किताबों को अनुवाद करने का श्रेय रेमाधव प्रकाशन को ही जाता है। रेमाधव प्रकाशन पहला संस्थान है जिसने सत्यजित राय के साहित्य को हिंदी के पाठकों के लिए समग्र रूप में प्रकाशित करने का बीड़ा उठाया। इससे पहले सत्यजित राय की कुछ चुनिंदा पुस्तकों का प्रकाशन राजकमल प्रकाशन और राधाकृष्ण प्रकाशन ने ही किया था।

रेमाधव प्रकाशन की इस सूची में सत्यजित राय के अलावा उपेंद्रनाथ अश्क, समरेश बसु, विभूति भूषण बंद्योपाध्याय, सुनील गंगोपाध्याय, विजयदान देथा, नृसिंह प्रसाद भादुड़ी, मृदुला गर्ग, मैत्रेयी पुष्पा, चित्रा मुद्गल, संजीव, चंद्रकांता, मधु कांकरिया जैसे महत्वपूर्ण लेखक शामिल हैं। रेमाधव प्रकाशन द्वारा हिन्दी सहित अन्य भारतीय भाषाओं की श्रेष्ठ कृतियों को सहेजने-पुनर्प्रकाशित करने के कार्य को प्रमुखता से आगे बढ़ाया जा रहा है। हिंदी लेखन के वैविध्य को सर्वोत्तम ढंग से सामने लाने का यह एक बेहतरीन प्रयास है।

सत्यजित राय बच्चों के लिए ऐसा साहित्य लाना चाहते थे जो मनोरंजक और रहस्य से भरपूर हो। हिन्दी के कम ही पाठक इस बात से वाकिफ़ होंगे कि एक बड़े फिल्मकार के रूप में दुनियाभर में मशहूर सत्यजित राय अपनी रहस्य रोमांच से भरी कहानियों, अपने जासूसी उपन्यासों और विज्ञान कथाओं के कारण बांग्ला में, बाल और किशोर पाठकों के बीच ही नहीं बल्कि हर उम्र के पाठकों के बीच असाधारण रूप से लोकप्रिय रहे हैं। उनके द्वारा रचित किरदार जासूस फेलूदा और वैज्ञानिक प्रोफेसर शंकू दशकों से बांग्ला पाठकों के पसंदीदा बने हुए हैं और अनुवादों के जरिये आज दुनिया भर में लोकप्रिय हो चुके हैं। इसी के समान्तर उन्होंने कई डिटेक्टिव नावेल लिखे जिनमें जय बाबा फेलूनाथ, फटिकचंद, मास्टर अंशुमान, कैलास में गोलमाल, अटैची रहस्य, नयन रहस्य, रॉयल बंगाल रहस्य आदि थे जो हिंदी में रेमाधव प्रकाशन ने प्रकाशित किये। हिन्दी पाठकों को उनका समूचा साहित्य पहुंचाना रेमाधव की प्राथमिकता में है।

भारतीय साहित्य में चित्रा मुद्गल के नाम को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। रेमाधव प्रकाशन से उनकी पुस्तकें शून्य, जगदम्बा बाबू गाँव आ रहे हैं, इस हमाम में, लाक्षागृह, दुलहिन, अपनी वापसी आदि पुनः मुद्रित होंगी। वरिष्ठ कथाकार मधु कांकरिया का कहानी संग्रह ‘भरी दोपहरी के अँधेरे’, हिंदी की प्रसिद्ध साहित्यकार मैत्रेयी पुष्पा की ‘छाँह’, कथाकार मन्नू भंडारी का कहानी संग्रह ‘अकेली’, समकालीन हिंदी लेखन जगत् की अग्रणी हस्ताक्षर ममता कालिया की ‘पच्चीस साल की लड़की’ और साहित्य अकादेमी पुरस्कार और व्यास सम्मान से नवाजी जा चुकी वयोवृद्ध लेखिका मृदुला गर्ग का कहानी संग्रह ‘छत पर दस्तक’ और वरिष्ठ लेखक संजीव की ‘आकाश चंपा’ आदि किताबें नए साज-सज्जा के साथ प्रकाशित होंगी।

राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा, ‘राजकमल प्रकाशन समूह को हिंदी साहित्य के शीर्षस्थ प्रकाशन के रूप में आप सबका विश्वास अर्जित है। हमारा हमेशा यह प्रयास रहा है कि जो हिंदी में अच्छा लिखा जा रहा है और हिंदी के बाहर जो अच्छा लिखा जा रहा है उसे पाठकों तक पहुचाएं। जब हमने रेमाधव को अपने प्रकाशन समूह में शामिल किया था तो  हमारा लक्ष्य था कि  सत्यजित राय सहित अन्य प्रमुख  लेखकों के बेहतरीन साहित्य को पाठकों तक उपलब्ध कराना है।’

रेमाधव प्रकाशन की शुरुआत बांग्ला के मूर्धन्य लेखक- सत्यजित राय, शंकर, श्रीपन्थ, सुनील गंगोपाध्याय की किताबों के हिन्दी अनुवाद से हुई। आकर्षक कवर और अच्छे प्रोडक्शन से इनकी बड़ी पहचान आरम्भ से ही बन गई। रेमाधव प्रकाशन प्रमुख लेखकों की किताबों के प्रकाशन के साथ ही पुस्तक प्रेमियों के लिए महान और नए लेखकों और  साथ ही विभिन्न भारतीय भाषाओं की बेहतरीन कृतियों का अनुवाद हिंदी में लाने के लिए प्रयत्नशील है। राजकमल प्रकाशन समूह का हिस्सा बनने के बाद रेमाधव के संकल्प और दृढ़ हुए हैं।