एक साथ दो पुस्तकों का विमोचन एवं काव्य गोष्ठी आयोजित
लुधियाना: प्रीत साहित्य सदन की मासिक बैठक इस बार विशेष रही, जिसमें एक साथ दो पुस्तकों — सुमित शर्मा के नवप्रकाशित काव्य संकलन “तिनके दी महायात्रा” तथा राजेन्द्र टोकी की कृति “लम्हों की नदी” — का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर साहित्यकार परमजीत वर्मा और प्रो. रमन शर्मा ने दोनों पुस्तकों पर अपने-अपने प्रपत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि ये कृतियाँ संवेदना, प्रेम और मानवता के सूक्ष्म भावों को समर्पित हैं। इनमें सामाजिक सरोकार और संस्कार की झलक गहराई से दिखाई देती है।
विमोचन के उपरांत दोनों लेखकों ने अपनी आत्म-अभिव्यक्ति के माध्यम से पाठकों को अपनी सृजन-यात्रा से अवगत कराया और अपनी रचनाधर्मिता पर विचार साझा किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. संजीव डाबर ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि नई पीढ़ी के रचनाकारों का साहित्य में स्वागत होना चाहिए, क्योंकि यही साहित्य की समृद्धि का आधार है। उन्होंने सुमित शर्मा की पुस्तक को साहित्य जगत के लिए “एक महत्त्वपूर्ण योगदान” बताया।
बैठक का दूसरा सत्र काव्य गोष्ठी के रूप में आयोजित हुआ, जिसमें लगभग पंद्रह कवियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। प्रमुख उपस्थित कवियों में दर्शन बोपाराय, काजल मेहरा, सीमा भाटिया, पाल संसारपुरी, सम नसरानी, पाटिल आदिल शर्मा, जगदीश सेतिया, दिलीप अवध साहनी, रमा शर्मा, रीना और डॉ. बलविंदर शामिल रहे।
मंच संचालन डॉ. अनु शर्मा ने अत्यंत प्रभावशाली ढंग से किया और नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने का प्रेरक संदेश दिया।
कार्यक्रम के अंत में मनोज प्रीत ने उपस्थित सभी लेखकों और कवियों का हार्दिक धन्यवाद प्रकट किया।
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