नियमित नेत्र जांच से संभव है दृष्टि की सुरक्षा और आंखों की बीमारियों से बचाव
रोहतक, गिरीश सैनी। नियमित नेत्र जांच न केवल दृष्टि की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि उन “साइलेंट” नेत्र रोगों का समय रहते पता लगाने में भी मदद करती है जो बिना किसी लक्षण के बढ़ते रहते हैं और देर होने पर स्थायी दृष्टि हानि का कारण बन सकते हैं। ग्लूकोमा, डायबिटिक रेटिनोपैथी और उम्र से संबंधित मैक्युलर डिजनरेशन जैसी स्थिति में समय पर निदान न होने पर स्थायी रूप से दृष्टि छीन सकती हैं।
नेत्र विशेषज्ञ डॉ. महिपाल सिंह सचदेव ने बच्चों में नियमित नेत्र परीक्षण को बेहद ज़रूरी बताया ताकि विज़न डिफेक्ट, तिरछापन या “लेज़ी आई” जैसी समस्याओं का समय रहते पता लग सके। ये समस्याएं बच्चों के सीखने और विकास को प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि वयस्कों में, विशेषकर 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए, नियमित स्क्रीनिंग प्रेस्बायोपिया, कैटरैक्ट और अन्य उम्र से जुड़ी नेत्र समस्याओं के समय पर प्रबंधन में मदद करती है।
डॉ. महिपाल सिंह ने बताया कि कैटरैक्ट विश्व भर में दृष्टि हानि के सबसे सामान्य कारणों में से एक है, विशेषकर 50 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों में। आंख का प्राकृतिक लेंस धुंधला होने पर धुंधली दृष्टि, चकाचौंध और रोजमर्रा के कार्यों में कठिनाई होती है। समय पर इलाज न हो तो यह पूर्ण दृष्टिहीनता तक पहुंच सकता है। लेकिन आधुनिक नेत्र चिकित्सा तकनीकों के चलते अब कैटरेक्ट सर्जरी दुनिया की सबसे सुरक्षित और सटीक प्रक्रियाओं में से एक बन गई है।
उन्होंने बताया कि वर्ल्ड साइट डे, जो हर वर्ष 9 अक्टूबर को मनाया जाता है, का इस बार का थीम “लव योर आइज़” है। दृष्टि हमारे सबसे अनमोल इंद्रियों में से एक है और इसे सुरक्षित रखने के लिए निरंतर देखभाल आवश्यक है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे अपनी दृष्टि को प्राथमिकता दें और नियमित नेत्र जांच को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
Girish Saini 


