समाचार विश्लेषण/हरियाणा की अकादमियों का नया स्वरूप शीघ्र 

हरियाणा की अकादमियों का नया स्वरूप शीघ्र ही सामने आने वाला है । फिलहाल तो पंचकूला के सेक्टर चौदह स्थित अकादमी भवन में कार्यरत सभी अकादमियों के निदेशक या अन्य पदाधिकारियों को अलविदा कह दिया गया है । नयी अधिसूचना अकादमी भवन पहुंचते ही सभी पदाधिकारियों ने स्वेच्छा से ही जाना बंद कर दिया । अब पूरे हरियाणा के सभी भाषाओं के रचनाकारों में उत्सुकता है कि आगे क्या होने वाला है ?

समाचार विश्लेषण/हरियाणा की अकादमियों का नया स्वरूप शीघ्र 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
हरियाणा की अकादमियों का नया स्वरूप शीघ्र ही सामने आने वाला है । फिलहाल तो पंचकूला के सेक्टर चौदह स्थित अकादमी भवन में कार्यरत सभी अकादमियों के निदेशक या अन्य पदाधिकारियों को अलविदा कह दिया गया है । नयी अधिसूचना अकादमी भवन पहुंचते ही सभी पदाधिकारियों ने स्वेच्छा से ही जाना बंद कर दिया । अब पूरे हरियाणा के सभी भाषाओं के रचनाकारों में उत्सुकता है कि आगे क्या होने वाला है ? सभी अकादमियों का विलय करके एक ही नया नाम प्रदान किया गया है -हरियाणा साहित्य व सांस्कृतिक अकादमी । यानी अब अलग अलग अकादमियां नहीं रहीं लेकिन स्टाफ है और इन अकादमियों द्वारा संचालित पत्रिकायें हैं , जो निरंतर पहले की तरह प्रकशित होती रहने का आश्वासन दिया गया है । इस नयी अधिसूचना के बाद अनेक लेखकों ने आपस में अपनी अपनी जिज्ञासाएं साझा करनी शुरू कीं । क्या होगा ? क्या नया बदलाव आने वाला है ? इस सबको ले सभी के मन में आशंकायें और जिज्ञासाएं हैं ।
इसी बीच हरियाणा लोक सम्पर्क व सूचना विभाग के महानिदेशक डाॅ अमित कुमार अग्रवाल के साथ बातचीत की गयी । तब उन्होंने इस बात को सहज ही स्वीकार किया कि मौजूदा व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिये मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गंभीर रूप से  विचार कर रहे हैं । इसी के चलते सभी अकादमियों का विलय किया गया । अब सिर्फ एक अकादमी रहेगी लेकिन सभी पत्र पत्रिकायें पहले की तरह प्रकाशित होती रहेंगीं । एक ही व्यक्ति इस नयी अकादमी का निर्देशन संभालेगा । उसी के माध्यम से सभी अकादमियों के कामकाज संबंधी फाइल्स आयेंगीं । इससे समय व ऊर्जा बचेगी । इससे पहले हर अकादमी के अधिकारी फाइल्ज लेकर सचिवालय चक्कर लगाते रहते थे । इसी तरह सभी अकादमियों के अलग अलग समारोह आयोजित नहीं करने पड़ेंगे बल्कि एक साथ एक ही बार सभी योग्य पात्रों /साहित्यकारों को सम्मानित किया जायेगा । जैसा कि हरियाणा गौरव के समय किया गया । इससे अलग अलग भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी । एक ही जगह अकादभी की ओर से पुस्तक प्रकाशन का काम सौंपा जायेगा और एक ही जगह एक ही हाथ में सारी व्यवस्था होगी । इससे जैसे एकल खिड़की जैसा काम है जायेगा । हर अकादमी के लिए एक निश्चित व निर्धारित बजट दिया जायेगा । इस तरह एक नयी व्यवस्थित की रूपरेखा तैयार की जा रही है और किसी नामचीन व अकादमी चलाने के लिये अनुभवी लेखक को यह कमान सौंपी जायेगी ।क्या हम उम्मीद करें कि यह नयी व्यवस्था प्रदेश के सभी भाषाओं के लेखकों को लुभा पायेगी ? हरियाणा की अकादमी बजट देने व लेखकों को अनुदान देने में अन्य राज्यों की अकादमियों के लिए एक उदाहरण बनी रहेगी ? आने वाले दिनों में इनके  संकेत मिल सकेंगे । फिलहाल शुभकामनायें ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।