ग़ज़ल / अश्विनी जेतली

ग़ज़ल / अश्विनी जेतली
अश्विनी जेतली।

आ तेरी ज़ुल्फ़ें सहलाऊँ, बैठ यहाँ 
तेरे हुस्न के सदके जाऊँ, बैठ यहाँ

तेरे बिन ये जीवन ग़म का दरिया है
इस दरिया में डूब न जाऊँ, बैठ यहाँ

इश्क में तेरे पागल हूँ, सब जानें हैं
सच में पागल हो न जाऊँ, बैठ यहाँ

सुर्ख़ लबों में तेरे, प्यार का रंग भर दूँ
सुन्दर इक तस्वीर बनाऊँ, बैठ यहाँ

मुझको सब हैं याद, भुलाए तुमने जो
वो कुछ वादे याद दिलाऊँ, बैठ यहाँ

दिए जो तूने ज़ख्म, दिखाऊँ, बैठ यहाँ
तुम को तुम से ही मिलवाऊँ, बैठ यहाँ