आरबीआई की नई सहूलियतों से निर्यात को प्रोत्साहन: फियो

आरबीआई की नई सहूलियतों से निर्यात को प्रोत्साहन: फियो

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) वास्तव में निर्यात को काफी मदद कर रहा है। आरबीआई की तरफ से पहले स्वत: सावधानी सूचीकरण की सुविधा दी गई और आज विदेश व्यापार सुविधा उपायों की घोषणा की गई। यह बात फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष श्री शरद कुमार सराफ ने शुक्रवार को जारी आरबीआई की द्विमासिक नीति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही। उन्होंने इस महामारी की स्थिति के दौरान निर्यात क्षेत्र में उत्कृष्ट सहयोग के लिए आरबीआई की सराहना की।

 

फियो प्रमुख ने कहा कि विदेशी खरीदारों को शिपिंग दस्तावेजों के प्रत्यक्ष प्रेषण और ऐसे मामलों  को नियमित करने के संबंध में मौद्रिक सीमा को हटाने, जहां निर्यात शिपमेंट के मूल्य के कारण निर्यात प्राप्ति बढ़ जाती है, से उन निर्यातकों को बहुत राहत मिलेगी जिनके बिल ईडीपीएमएस में लंबित है। इससे उन निर्यातकों की चिंता का भी हल निकल जाएगा जिन्होंने कोविड के दौरान मजबूरी में खरीदारों को सीधे तौर पर दस्तावेज भेजा क्योंकि लॉकडाउन के कारण कूरियर सेवाएं भारत में काम नहीं कर रही थीं।

 

इसी तरह, बैंकों द्वारा बड़ी संख्या में मामलों को बंद कर दिया जाएगा, आरबीआई को संदर्भित किए बिना पिछले कैलेंडर वर्षों के निर्यातों के 10 फीसदी से अधिक के असत्यापित निर्यात मूल्यों को खारिज कर दिया जाएगा। इससे निर्यातकों के लेनदेन का समय बचेगा।

 

निर्यातकों की लंबे समय से लंबित मांग थी कि जब वे इस तरह के सामान को अपनी सहयोगी कंपनियों से या उनके लिए निर्यात कर रहे हो तो आयात शुल्क के बदले निर्यात करने की इजाजत दी जाए और आज की घोषणा में इस मांग को स्वीकार करना एक स्वागत योग्य कदम है।

 

निर्यात प्राप्ति से जुड़े रिफंड को लेकर निर्यातकों और बैंकों के बीच विवाद पैदा हो रहा था, जहां माल नष्ट हो गया या बर्बाद हो गया या नीलाम हो गया, क्योंकि बैंक ऐसी सामग्री के आयात पर जोर दे रहे थे जो व्यावहारिक नहीं था। ऐसे मामलों में जाहिर तौर पर दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने पर रिफंड की इजाजत देने से निश्चित रूप से विवाद का निपटान होगा।

 

फियो अध्यक्ष ने प्रमुख दरों में कोई बदलाव नहीं करने, आरटीजीएस प्रणाली को चौबीस घंटे सातों दिन लागू करने, वित्तीय दबाव झेल रहे अन्य सेक्टर को सरकार की ईसीएलजीएस कर्ज स्कीम से जोड़ने जैसे कदमों का स्वागत किया। ईसीएलजीएस स्कीम से जुड़ने से दबाव में चल रहे 26 सेक्टर को बैंक कम दर पर कर्ज दे सकेंगे। श्री सराफ ने भविष्य में ऐसे और अधिक सुगम उपायों की भी अपेक्षा की हैं जो सरकार द्वारा लक्षित 2025 तक 1 ट्रिलियन डालर के निर्यात को प्राप्त करने में मदद करेंगे।