राजकमल प्रकाशन ने किया 76वें वर्ष में प्रवेश, स्थापना दिवस पर आयोजित हुआ कार्यक्रम

राजकमल प्रकाशन ने किया 76वें वर्ष में प्रवेश, स्थापना दिवस पर आयोजित हुआ कार्यक्रम

नई दिल्ली, 28 फरवरी 2023: राजकमल प्रकाशन के 76वें स्थापना दिवस पर विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन समूह के स्टॉल 'जलसाघर' में कई विशेष कार्यक्रम आयोजित हुए। इसअवसर पर अली अनवर की नई किताब 'सम्पूर्ण दलित आंदोलन : पसमांदा आंदोलन', उदय प्रकाश की 'प्रतिनिधि कविताएँ' और 'प्रतिनिधि कहानियाँ', अनामिका की 'स्त्री-मुक्ति की सामाजिकी', गगन गिल की 'प्रतिनिधि कविताएँ' और 'तेजस्विनी : अक्का महादेवी के वचन' और अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री के उपन्यास 'रेत समाधि' के उपहार संस्करण का लोकार्पण हुआ।

राजकमल स्थापना दिवस पर नरेन्द्र प्रसाद नौटियाल और राजकुमार को 'राजकमल पाठक –मित्र सम्मान' से सम्मानित किया गया। राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा कि 'हम सबके लिए हर्ष की बात है कि आज राजकमल प्रकाशन अपनी 75 वर्षों की सफल यात्रा के बाद 76वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। आज ही के दिन हमारे लेखक विनोद कुमार शुक्ल को पेन/नोबोकोव अवॉर्ड देने की घोषणा ने हमारी इस खुशी को दोगुना कर दिया है।'

आज के कार्यक्रम के पहले सत्र में पूर्व राज्यसभा सदस्य अली अनवर की नई किताब 'सम्पूर्ण दलित आंदोलन : पसमांदा आंदोलन' का लोकार्पण हुआ। साथ ही, इस किताब पर परिचर्चा आयोजित हुई जिसमें योगेंद्र यादव, हिलाल अहमद, रतन लाल और अशोक कुमार पांडेय बतौर वक्ता मौजूद रहे। इस मौके पर अली अनवर ने कहा कि "यह पुस्तक  विभिन्न धर्मों के दलितों की व्यथा है़। मैंने इस पुस्तक में 100 से अधिक परिवारों के अध्ययन को समेटा, तब जाकर यह संकलन बना।" वहीं योगेन्द्र यादव ने कहा कि 'यह किताब जातिगत जनगणना की वकालत करती है़। अगर किसी एक व्यक्ति ने पिछड़े मुस्लिम समाज के मुद्दे को उठाया है़ तो वो अली अनवर हैं।' अशोक कुमार पाण्डेय ने कहा कि यह किताब सामाजिक चेतना का निमार्ण करेगी।

अगले सत्र में राजकमल प्रकाशन की 'प्रतिनिधि' शृंखला में प्रकाशित उदय प्रकाश की 'प्रतिनिधि कविताएँ' और 'प्रतिनिधि कहानियाँ' पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। इस सत्र में संजीव कुमार से आर. चेतन क्रांति ने बातचीत की। आर. चेतन क्रांति ने कहा कि उदय प्रकाश हमारे समय के उल्लेखनीय कथाकार और कवि हैं उनकी प्रतिनिधि कहानियाँ और कविताओं का संकलन उदय प्रकाश के कदस्वरूप और उनका मूल्यांकन करने में मदद करेगी।

इसके बाद साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार अनामिका की नई किताब 'स्त्री-मुक्ति की सामाजिकी : मध्यकाल और नवजागरण' का लोकार्पण हुआ। लोकार्पण के पश्चात सुजाता के साथ उनकी किताब पर बातचीत हुई। इस मौके पर अनामिका ने कहा 'हम एक जनतंत्र में हैं तो सवांद हमारा एकमात्र सहारा है़। यह समाज बहुत समय से पुरुष दृष्टि से चला है़ तो लगातार लिखने से ही स्त्री के लिए आगे का रास्ता बनेगा। स्त्री साहित्य किसी पर थोपा नहीं जा रहा है़।' वहीं सुजाता ने किताब के बारे में बात करते हुए कहा कि इस किताब की भाषा सवांद की भाषा है़। पढ़ते हुए ऐसा लगता है़ आमने-सामने बैठ के बातें हो रही हैं। अगले सत्र में जॉन स्ट्रैटन हॉली की नवीनतम किताब 'कृष्ण की लीलाभूमि' पर रमण सिन्हा ने उनसे बातचीत की।

इसके बाद गगन गिल की दो नई पुस्तकों 'प्रतिनिधि कविताएँ' और 'तेजस्विनी : अक्का महादेवी के वचन' का लोकार्पण हुआ। इस सत्र में सुदीप्ति में गगन गिल से बातचीत की। इस दौरान सुदीप्ति ने कहा कि 'गगन जी ने अक्का महादेवी का जो भावन्तरण किया है वह इतना तरल और मन को गहरे छूने वाला है कि आप भीतर तक उस भावबोध से भर जाते हैं। अक्का जैसी विलक्षण विद्रोही और प्रेममय थीं वह इन वचनों से साक्षात उभर उठता है।' वहीं उनकी 'प्रतिनिधि कविताएँ' पुस्तक के बारे में बात करते हुए सुदीप्ति ने कहा कि 'उनकी रचना-भूमि अत्यंत विस्तृत है। प्रतिनिधि कविताओं में उनके कवि कर्म के विस्तार को समेटने और एक प्रतिनिधि संकलन तैयार करने का प्रयास किया है।'

अगले सत्र में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल की सात पुस्तकों के नए संस्करणों का लोकार्पण हुआ। गौरतलब है कि विनोद कुमार शुक्ल को आज ही के दिन पेन/नोबोकोव अवॉर्ड देने की घोषणा हुई हैं। इस मौके पर राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा कि 'यह हम सबके लिए खुशी की बात है कि हमारे लेखक विनोद कुमार शुक्ल की रचनाओं को भारत के बाहर पश्चिमी जगत में भी स्वीकृति मिली है।'

आज के आखिरी सत्र में अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री के उपन्यास 'रेत समाधि' के उपहार संस्करण के लोकार्पण हुआ। इस मौके पर गीतांजलि श्री में कहा 'मैंने जो लिखा वो अजूबा नहीं था। यह सब मेरे चारों ओर घटित हुआ और किताब के रूप में अवतरित हुआ। मैं आज भी उन लोगों को याद करती हूँ जिन लोगों ने इस किताब को बुकर मिलने से पहले पढ़ा।'