मनोविज्ञान जीवन को सरल बनाने व समझने में मदद‌ करता है : डाॅ सुमन बहमनी

मनोविज्ञान न केवल हमें जीवन को सरल बनाने में मदद करता है बल्कि जीवन को समझने  में बड़ी मदद करता है। यह महत्त्वपूर्ण बात एक बातचीत के दौरान मनोवैज्ञानिक डाॅ सुमन बहमनी ने कही । वे कैमरी रोड पर स्थित रीसैट यूअरसेल्फ नाम से एक क्लिनिक चलाती हैं। 

मनोविज्ञान जीवन को सरल बनाने व समझने में मदद‌ करता है : डाॅ सुमन बहमनी
डाॅ सुमन बहमनी । 

- कमलेश भारतीय
मनोविज्ञान न केवल हमें जीवन को सरल बनाने में मदद करता है बल्कि जीवन को समझने  में बड़ी मदद करता है। यह महत्त्वपूर्ण बात एक बातचीत के दौरान मनोवैज्ञानिक डाॅ सुमन बहमनी ने कही । वे कैमरी रोड पर स्थित रीसैट यूअरसेल्फ नाम से एक क्लिनिक चलाती हैं। 
- आप मूलत : कहाँ से हैं?
- गुरुग्राम से! 
- आपकी शिक्षा कहाँ से और कितना पढ़ी हैं? 
- बी ए और एम  काॅम  की गवर्नमेंट काॅलेज, गुरुग्राम से! इसके बाद एम  बी ए की एमडी यूनिवर्सिटी,रोहतक से! 
-तो मनोविज्ञान में कैसे रूचि हुई? 
-अपने पति प्रो राकेश बहमनी, और खुद गुरु जम्भेश्वर, विश्वविद्यालय, हिसार में जोमनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष रह चुके है और साथ में अंग्रेज़ी विभाग के डीन भी हैं इनसे विवाह के बाद उन्होंने मुझे अपनी मनोविज्ञान के एरिया में काम करने की सलाह दी। उन्होंने मुझे समझाया कि  समाज को  मनोविज्ञान के एरिया से बेहतर मदद कर सकती हूं।पति के मार्गदर्शन से मेरी मनोविज्ञान में  रूचि हो गयी। 
-आप ने आगे की डिग्री और पीएचडी कहां से की ? 
- और अपनी फील्ड में  पीएचडी मैंने गुजवि के एमबीए विभाग से डाॅ राजीव कुमार के निर्देशन में पूरी की । 
-फिर मनोविज्ञान की प्रैक्टिस कहा़ं और किसके पास बनीं? 
- मैंने  मनोविज्ञान की डिग्री और आगे की प्रैक्टिस हिसार से क्लिनिकल साइकेस्ट्रिस्ट के रूप में दस साल तक की । 
- मनोविज्ञान के क्षेत्र में किसको अपना आदर्श या प्रेरक मानती हैं? 
-अपनी मां राज और‌ पति प्रो राकेश बहमनी को। ‌मेरा राकेश के साथ विवाह 21 साल की आयु में हुआ और अब मैं 42 साल की हो‌ गयी हूँ। इस तरह वही मेरे आदर्श और‌ गुरु हैं! 
-आपका क्या संदेश है?
- मेरा इतना ही संदेश है कि जैसे आप अपनी कार को खराब होने के बाद ही ठीक करवाने ले जाते हैं, ऐसे ही मैंं कहना चाहती हूँ कि ज़िंदगी की गाड़ी को उलझने  से पहले ही मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी चाहिए। ‌यही मेरा छोटा सा संदेश है! यही नही खुद से समय निकाल कर खुद से ही बातें करना और अपने आप को जानने में मदद लेनी चाहिए।