दिव्यांगजनों को सहानुभूति नहीं अवसर प्रदान करें: डॉ शरणजीत कौर
राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिव्यांगजनों की शिक्षा, रोजगार और प्रौद्योगिकी तक पहुंच पर हुआ मंथन।

रोहतक, गिरीश सैनी। एमडीयू के सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्टडीज़ (सीडीएस) द्वारा - ब्रेकिंग बैरियर्स, बिल्डिंग फ्यूचर: एन्हान्सिंग एक्सेस टू एजुकेशन, एंप्लॉयमेंट एंड टेक्नोलॉजी फॉर पर्सन्स विथ डिसएबिलिटीज विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
बतौर मुख्य अतिथि, भारतीय पुनर्वास परिषद की अध्यक्ष डॉ. शरणजीत कौर ने अपने संबोधन में कहा कि दिव्यांगजन किसी पर बोझ नहीं, बल्कि समाज की ऊर्जा और प्रतिभा के स्रोत हैं। हमें उन्हें सहानुभूति नहीं, अवसर देने चाहिए। शिक्षा और तकनीक की सुलभता उनके लिए स्वतंत्रता और सम्मान का आधार है। हर संस्था और व्यक्ति का कर्तव्य है कि हम उनकी क्षमताओं को पहचान कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ें। उन्होंने कहा कि यदि समाज मिलकर बैरियर्स (बाधाओं) को तोड़े तो दिव्यांगजन अपनी मेहनत और लगन से असंभव को भी संभव बना सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि, कुलसचिव डॉ. कृष्ण कांत ने कहा कि दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना ही सच्चे अर्थों में शिक्षा का लोकतंत्रीकरण है। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी और नवाचार दिव्यांगजनों के लिए शिक्षा और रोजगार के नए द्वार खोल रहे हैं। इग्नू के स्कूल ऑफ एजुकेशन के निदेशक प्रो. अमिताव मिश्रा ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि समावेशी शिक्षा केवल नीतियों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसे कक्षाओं और पाठ्यक्रमों के स्तर तक ले जाना होगा।
प्रारंभ में स्वागत संबोधन सीडीएस निदेशक प्रो. प्रतिमा देवी ने किया। संगोष्ठी में आयोजित सात तकनीकी सत्रों में प्रतिभागियों ने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। मंच संचालन डॉ आरती चहल ने किया। इस दौरान प्रो. राजीव कुमार, प्रो. सुरेंद्र कुमार सहित शिक्षक व प्रतिभागी मौजूद रहे।