प्रो. बेदी ने हिंदी कार्यशाला में रेखांकित की भारतीय संस्कृति की वैश्विक प्रासंगिकता
पद्मश्री चांसलर प्रो. हरमहेंदर सिंह बेदी ने हाल ही में केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर में आयोजित अखिल भारतीय हिंदी कार्यशाला में भारतीय ज्ञान परंपरा और भारतीय साहित्य विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन दिया। यह कार्यशाला 24, 25 और 26 जुलाई 2025 को आयोजित हुई थी।

पद्मश्री चांसलर प्रो. हरमहेंदर सिंह बेदी ने हाल ही में केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर में आयोजित अखिल भारतीय हिंदी कार्यशाला में भारतीय ज्ञान परंपरा और भारतीय साहित्य विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन दिया। यह कार्यशाला 24, 25 और 26 जुलाई 2025 को आयोजित हुई थी।
प्रो. बेदी ने अपने संबोधन में भारतीय ज्ञान परंपरा की गहराई, समग्रता और सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय साहित्य न केवल हमारी अस्मिता का परिचायक है, बल्कि वह वैश्विक दृष्टि से भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक है। उन्होंने हिंदी भाषा की अभिव्यक्ति क्षमता, विविध विधाओं और उसकी व्यापकता पर बल देते हुए कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुल है, जो उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम को जोड़ती है।
कार्यशाला में देशभर से आए हिंदी विद्वानों, शोधार्थियों और साहित्यकारों ने भाग लिया। प्रो. बेदी के वक्तव्य को श्रोताओं ने अत्यंत प्रेरणादायक, तथ्यपूर्ण और चिंतनशील बताया।
कार्यक्रम के अंत में आयोजकों ने प्रो. बेदी का विशेष रूप से सम्मान करते हुए उनके योगदान को भारतीय साहित्य और शिक्षा जगत के लिए अनुपम बताया।