प्रो. अलंकार के संस्कृत महाकाव्य का विमोचन

प्रो. अलंकार के संस्कृत महाकाव्य का विमोचन

पीयू के प्रो. वीरेन्द्र कुमार अलंकार के नए काव्य हंसमानसम् का विमोचन 20 अप्रैल, 2024 को महात्मा हंसराज दिवस पर डीएवी पब्लिक स्कूल, थर्मल कालोनी, पानीपत में अखिल भारतीय डीएवी कॉलेज मैनेजिंग कमिटी के प्रधान पद्मश्री डॉ. पूनम सूरी ने किया। 19 सर्गों के इस विशाल महाकाव्य में एक ऐसे हंस की तपोयात्रा चित्रित की है, जिसने पूरे मनोयोग से ज्ञान के मानसरोवर का निर्माण किया। इस महान् चरित्र का जन्म बिजवाड़ा (होश्यारपुर), पंजाब में हुआ था। इस महान् योगी का नाम था महात्मा हंसराज।

महात्मा हंसराज ने लाहौर में डीएवी स्कूल के पहले प्रिंसीपल का भार आजीवन बिना वेतन के ही उठाया। फिर पहले डीएवी कॉलेज के भी अवैतनिक प्रिंसीपल बने। इस महान् तपस्वी ने प्लेग के दिनों में मुल्तान के क्षेत्र में, उड़ीसा, उत्तराखण्ड, बिहार आदि जगहों पर आए भूकंपों के समय जो सेवा की, वह अद्भुत थी। ऐसे महान् चरित्र पर लिखे इस आधुनिक संस्कृत महाकाव्य में इतिहास भी सुरक्षित रहा है और काव्य की सीमाओं का भी ध्यान रखा गया है।

इस नई कहानी के द्वारा संस्कृत साहित्य को समृद्ध करने का श्रेय पंजाब यूनिवर्सिटी को जाता है। प्रो. अलंकार के इससे पूर्व भी चार-पाँच काव्य ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं। कई विश्वविद्यालयों में इनके काव्यों पर शोधकार्य भी हो चुका है। प्रो. अलंकार के योगदान को लेकर इन्हें महाकवि बाणभट्ट पुरस्कार, महर्षि वेदव्यासपुरस्कार, महर्षि वाल्मीकिपुरस्कार, चण्डीगढ साहित्य अकादमी सम्मान व  साहित्यशिरोमणि (घोषित) आदि अलंकरणों से सम्मानित किया जा चुका है।

इस काव्य की हिन्दी टीका डीएवी कॉलेज, चण्डीगढ की संस्कृत प्रोफेसर डॉ. अलंकार सुषमा ने लिखी है तथा सम्पादन किया है एस के शर्मा ने। ग्रन्थ का सुन्दर प्रकाशन डीएवी प्रकाशन विभाग, नई दिल्ली ने किया है।