प्रेमचंद का किसान आज भी हमारे बीच

हिंदी विभाग का प्रेमचंद जयंती उत्सव प्रारंभ

प्रेमचंद का किसान आज भी हमारे बीच

चंडीगढ़: पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष्य में आज से विशेष व्याख्यान श्रृंखला का प्रारंभ किया गया। इस श्रृंखला की पहली कड़ी में प्रसिद्ध व्यंग्यकार और गगनांचल के संपादक डॉ. हरीश नवल मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। 'उन्होंने प्रेमचंद और मैं' विषय पर अपने वक्तव्य में कहा कि प्रेमचंद का किसान आज भी उसी रूप में मौजूद है लेकिन एक अंतर अवश्य है कि प्रेमचंद का किसान चाहे संघर्ष करते - करते मर जाता था, परंतु वह आत्महत्या नहीं करता था। साथ ही उन्होंने विशेष तौर पर प्रेमचंद के नाटकों के अनछुए पहलुओं को उजागर करते हुए बताया कि कर्बला को आधार बनाकर प्रेमचंद ने नाटक लिखा जो उनसे पहले हिंदी साहित्य में देखने को नहीं मिलता। उन्होंने आगे बताया कि देश - विदेश में कबीरदास व तुलसीदास के बाद सबसे अधिक शोधकार्य प्रेमचन्द के साहित्य पर हो रहे हैं। विभागाध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह ने बताया कि इस कड़ी में अगले व्याख्यान में 24 जुलाई को विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा और 31 जुलाई को प्रेमचन्द जयंती के दिन आयोजित वेबगोष्ठी में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव मुख्य वक्ता होंगे। व्याख्यान के बाद प्रश्न - उत्तर का सत्र भी हुआ जिसमें एक सवाल के जवाब में डॉ. नवल ने कहा कि जब साहित्यकार किसी कहानी, उपन्यास, नाटक की रचना करता है तो बहुत बार वह पात्र किसी और उद्देश्य से गढ़ता है लेकिन एक सफल साहित्यकार की यही खूबी होती है कि उसके गढ़े पात्र खुद को स्वयं आगे बढ़ाते हैं वह खुद कहानी में अपने आपको स्थापित करते जाते हैं।
कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से 75 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें अल्मोड़ा, हैदराबाद, दिल्ली और बैंगलुरू शामिल हैं। कार्यक्रम में प्रो. नीरजा सूद और प्रो. नीरज जैन भी शामिल रहीं। विभाग के एम. ए. द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी मयंक ने धन्यवाद ज्ञापन किया। 
इस पखवाड़े में विशेष व्याख्यानों के अलावा लघु कहानी लेखन प्रतियोगिता करवाई जा रही है और प्रेमचंद की कहानियों पर आधारित कहानी वाचन श्रृंखला की भी योजना बनाई गई है जो जल्द ही फेसबुक के माध्यम से प्रसारित की जाएगी।