लघुकथा/प्रहरी/मनोज धीमान

लघुकथा/प्रहरी/मनोज धीमान
मनोज धीमान।

दिनेश बिस्तर पर लेटा हुआ था। मध्यरात्रि हो चुकी थी। मगर नींद अभी भी कोसो दूर थी। उसे रह रह कर यही ख़्याल आ रहा था कि इस समय सीमा पर क्या चल रहा होगा। आज सुबह एक दुखद समाचार आया था। सीमा पर देश के वीर सैनिकों पर दुश्मनों ने छल से हमला कर दिया था। देश के वीर सैनिकों ने दुश्मनों का डट कर मुकाबला किया। इस मुकाबले में देश के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए। इस मुठभेड़ में दुश्मन देश के लगभग 50 सैनिकों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया गया। दिनभर वह टीवी के सामने समाचार देखता रहा ताकि मालूम हो सके कि इस समय सीमा पर क्या चल रहा है। जब रात के 10 बज गए तो पत्नी ने टीवी बंद करने को कह दिया। उसे नींद नहीं आ रही थी। टीवी की वजह से उसकी नींद में खलल पड़ रहा था। उसने टीवी बंद किया और बेड पर आकर लेट गया। बिस्तर पर लेटे हुए रातभर वह यही सोचता रहा कि इस समय सीमा पर क्या चल रहा होगा। जब सूर्य की पहली किरण खिड़की से होते हुए बैडरूम में प्रवेश हुई तो उसने बेड के एक कोने में पड़े टीवी के रिमोट को उठाया और टीवी ऑन कर दिया। उसने सभी न्यूज़ चैनल बदल बदल कर देखे। सभी न्यूज़ चैनल यही समाचार दे रहे थे कि बॉर्डर पर तनाव अभी भी बना हुआ है हालाँकि स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। यह समाचार सुन कर उसके दिलो-दिमाग को थोड़ी राहत  मिली। समाचार सुनते सुनते वह कब वह नींद की आगोश में चला गया उसे मालूम ही ना हुआ।