राजनीतिक विश्लेषण/एस आर के शाहरुख़ नहीं कांग्रेस

राजनीतिक विश्लेषण/एस आर के शाहरुख़ नहीं कांग्रेस

-कमलेश भारतीय
आप लोग अभी तक एस आर के का मतलब रोमांटिक फिल्मी हीरो शाहरुख़ खान को ही मान रहे हैं जबकि हरियाणा प्रदेश कांग्रेस में इसका मतलब है सुश्री सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी! बस इनमें एक ही समानता है कि शाहरुख़ की डर फिल्म की हीरोइन का नाम भी  क...क.... किरण ही था जो दर्शकों को शाहरुख़ के बोलने का अंदाज बहुत पसंद आया था! पर यहाँ किरण चौधरी जी राजनीतिक हस्ती हैं और हरियाणा की पूर्व मंत्री भी रही हैं। पहले दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रहीं और बाद में हरियाणा की राजनीति में खूब घुल मिल गयीं। वे कहती हैं कि कोई आकर उन्हें भिवानी में न्यौता घाल जाये तो वे रोहतक या कहीं भी यह न्यौता उतारती जरूर हैं। 
अब बात यह है कि पिछले दिनों एस आर के नेता एकसाथ ही रोहतक न्यौता घालने गये या उतारने गये, यह पता नही लेकिन संवाददाता सम्मेलन शुरू होने से पहले कुर्सियों पर कहाँ किसे बैठना है इसे लेकर एक मज़ेदार वीडियो वायरल हो गया जिसमें पूर्व मंत्री सुभाष बतरा और माजरी नाम के नेता आपस में कुर्सी के लिए लड़ते झगड़ते दिखते हैं! यह हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का चेहरा है और अगले विधानसभा चुनाव की तैयारियों की एक छोटी सी झांकी मात्र है। हालांकि बाद में सब ठीक ठाक हो गया और बाकायदा संवाददाता सम्मेलन हुआ जिसमें एस आर के यानी तीनों कांग्रेसी नेता मौजूद थे। 
सुश्री सैलजा पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने की बात बार बार कह रही हैं जिसका संकेत राजनीतिक गलियारों में सब समझ रहे हैं कि किसकी ओर है और क्यों है! अभी तक वे लोकसभा या राज्यसभा में रहीं और केंद्रीय मंत्री भी रहीं। इस बार उनके मन  में क्या है, इसका अंदाजा लगाना कोई मुश्किल काम नहीं। इशारों में अगर समझो तो अचछा है! वे जल्द ही जन संदेश यात्रा निकालने जा रही हैं जिससे कांग्रेस हाईकमान तक अपनी लोकप्रियता सिद्ध कर सकें। वे कांग्रेस में गुटबाजी के जबाव में इतना ही कहती हैं कि हर नेता अपनी तरह से कांग्रेस को मजबूती प्रदान कर रहा है जबकि विपक्ष आपके समक्ष की आलोचना करते कहा था कि अभी तो कांग्रेस का हाथ जोड़ो अभियान चल रहा है, अभी इसका औचित्य समझ नहीं आ रहा। अब जन संदेश यात्रा पर भी कई सवाल उठ सकते हैं क्योंकि यह कांग्रेस है भैया! इसमें अलग अलग सुर हैं सबके! मिले न सुर मेरा, तुम्हारा! यही हो रहा है या दिखाई दे रहा है। 
रणदीप सुरजेवाला भी हरियाणा के पूर्व प्रभावशाली मंत्री रहे हैं और राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया प्रभारी भी और आजकल राजस्थान से राज्यसभा के सांसद हैं। वे भी जींद उपचुनाव की हार को शायद ही भुला पाये हों और तब भाजपा नेता प्रो रामबिलास शर्मा ने कहा था कि कांग्रेसी तो जींद उपचुनाव में एक दूसरे का कांटा निकालने की होड़ में हैं और यह बात सच साबित हुई। कांग्रेस नेताओं ने इससे कोई सबक नहीं लिया और पिछले साल मंडी आदमपुर उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश का कांटा निकाला गया! सुश्री सैलजा के पिता की बरसी पर जयप्रकाश सैलजा से समर्थन मांगने गये लेकिन उनके कार्यक्रम पहले से ही इतने व्यस्त थे कि कांग्रेस प्रत्याशी के प्रचार के लिए समय नहीं निकाल पायीं! एस आर के का कोई प्रत्यक्ष सहयोग आदमपुर उपचुनाव में दिखाई नहीं दिया। अब यहां भी कांटा ही निकालने की बात प्रो रामबिलास शर्मा की कही सच लगने लगी! 
बस इतना ही अफसाना है हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का कि एक तरफ विपक्ष आपके समक्ष और दूसरी तरफ जनसंदेश यात्रा चलती रही तो राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा का फल मिलना मुश्किल लगता है और विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस नेताओं की ऐसी तैयारियों को देखकर बाबर की कही बात याद आ रही है कि जो लोग एक चूल्हे पर रोटी नहीं खा सकते उन्हें हराना कोई मुश्किल काम नहीं! इस बात पर हुड्डा व एस आर के गुटों को विचार करना चाहिए
सबको सन्मति दे भगवान्! 
अब तो पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर भी कहने लगे हैं कि भाजपा की हरियाणा में हैट्रिक कांग्रेस ही लगवायेगी ! वैसे अशोक तंवर जी! आप कांग्रेस को कब के छोड़कर जा चुके और तृणमूल कांग्रेस से होते हुए आप में जा पहुंचे। अब आप कांग्रेस को लेकर क्यों‌ दुबले पतले हो रहे हो? आप अपनी पार्टी के बारे में प्रकाश डालिए न! 
सबको सन्मति दे मेरे राम!