दोआबा कालेज में क्या भारत कम उदारवादी बन रहा है, पर पैनल डिस्कशन आयोजित

दोआबा कालेज में क्या भारत कम उदारवादी बन रहा है, पर पैनल डिस्कशन आयोजित
दोआबा कालेज में आयोजित पैनल डिस्कशन में चन्द्र मोहन, सुरेश सेठ, अरुणदीप व प्रि. डॉø प्रदीप भंडारी, व विद्यार्थी भाग लेते हुए ।

जालन्धर, 25 नवबर, 2021: दोआबा कालेज के स्नातकोत्तर जर्नालिज्म एवं मास कयुनिकेशन विभाग द्वारा  क्या भारत कम उदारवादी बन रहा है पर पैनल डिस्कशन आयोजित किया गया जिसमें श्री चन्द्र मोहन- प्रधान आर्य शिक्षा मण्डल एवं कालेज प्रबन्धकीय समीति तथा वरिष्ठ पत्रकार, सुरेश सेठ- वरिष्ठ साहित्यकार, आलोचक, कवि व चिंतक, अरुणदीप- चीफ सब-एडिटर, पंजाबी जागरण बतौर पैनालिस्ट उपस्थित हुए जिनका हार्दिक अभिनन्दन प्रिं. डॉø प्रदीप भंडारी, डॉø सिमरन सिद्धू-विभागाध्यक्षा, प्रो. प्रिया चोपड़ा, प्राध्यापकगणों तथा 87 विद्यार्थियों ने किया । मॉडरैटर की भूमिका राशी रावल ने बखूबी निभाई ।

श्री चन्द्र मोहन ने कहा कि हमारा संविधान समग्र संस्कृति की बात करता है जिसमें सबको साथ लेकर चलना और आलोचना लोकतंत्र का अभिन्न अंग भी है। उन्होंने कहा कि सत्य एक है पर उस तक अलग अलग रास्तों से पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि सदियों से भारत ने बहुत सारे देशो जैसे कि बंगलादेश, तिबत और श्रीलंका आदि के नागरिकों को समय समय पर शरण दी है और सामूहिक स्विकृति से हर धर्म जाति और क्षेत्र के लोगों को अपनाकर अपनी उदारता का प्रदर्शन किया है।
प्रिं. डा. प्रदीप भंडारी ने कहा कि वर्तमाण परिदृश्य में सोशल मीडीया का बहुत बड़ा रोल है। वर्तमाण दौर में सूचना का भंडार मौजूद है। इसमें हमारा यह फर्ज बनता है कि हम पक्ष व विपक्ष के दोनों पहलुओं का मुल्यांकण करते हुए उस सूचना का सही विशलेषण कर समझ कर अपना एक सकारात्मक पुता विचार बनाकर राष्ट्र हित में सही निर्णय ले सकें।
सुरेश सेठ ने कहा कि हमारे राष्ट्र ने मर्यादा से मझधार का सफर तय किया है जिसमें हमारी नोजवान पीड़ी ने देश को नई उँचाइयों पर ले जाने में एहम भूमिका निभाई है। नौजवान पीड़ी ने मीडीया को आज़ाद पार्दशी बनाने में भी अपना सकारात्मक रोल निभाया है।
अरुणदीप ने कहा कि आज के दौर में समाजिक लोकतंत्र को सही रूप में बनाए रखना हमारे देश के ढाँचे को मजबूत बनाए रखने के लिए एहम है। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की धार्मिक ध्रुविकरण बहुत खतरनाख समीकरण बनता जा रहा है जिसे कि हर हाल में सुलझाने की ज़रूरत है ताकि समाज में समनवय, तालमेल व आपसी भाईचारा का माहौल कायम किया जा सके।