डाॅन को पकड़ना नामुमकिन है? 

डाॅन को पकड़ना नामुमकिन है? 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय
डाॅन फिल्म का यह डाॅयलाग बहुत मशहूर है -डाॅन को पकड़ना मुशिकल ही नहीं , नामुमकिन है । डाॅन की तलाश बारह मुल्कों की पुलिस कर रही है लेकिन हाथ सबके खाली हैं । एक बार फिर यह डाॅयलाग लोगों की जुबान पर आने लगा है । वजह कि पाकिस्तान ने पूरे सताइस साल बाद यह कबूल कर लिया है कि डाॅन यानी दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में रह रहा है । हालांकि इससे पहले कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया । डाॅन पर एक नहीं दो दो बार फिल्मे बनीं और बिग बी और बादशाह खान ने उसके किरदार निभाये । फिल्म वालों ने डाॅन को इतना ग्लैमराइज किया कि डाॅन हीरो लगने लगा और ऐसा डाॅन बनने का सपना हर युवा अपराधी देखने लगा । यूपी का गैंगस्टर विकास दुबे इसका ताज़ा उदाहरण कहा जा सकता है । अब तो अन्य गैंगस्टरों पर भी यूपी पुलिस कार्रवाई कर रही है । हर राज्य में अपनी तरह के गैंगस्टर हैं और वे जेल में भी पुलिस वालों की कृपा से सारी सुविधाएं पाते हैं । बिहार का पप्पू यादव हो या यूपी का राजा भैया । सबके सब छोटे छोटे डाॅन हैं और इन्हें बढ़ाना राजनीति से ही मिलता है । जब तक यह राजनीति और अपराध का कनेक्शन काटा नहीं जाता तब तक डाॅन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन ही रहेगा । दूसरे जब तक डाॅन जैसी फिल्मों में ऐसे किरदारों को ग्लैमराइज किया जाता रहेगा तब तक डाॅन पैदा होते रहेंगे । फिर जब डाॅन की महफिल में हर छोटा बड़ा स्टार सिर झुकाता रहा हो और राम तेरी गंगा मैली की हीरोइन मंदाकिनी क्रिकेट मैच के दौरान फ्लैश होती रहेगी तब तक डाॅन हीरो ही रहेगा , खलनायक नहीं । यों तो डाॅन से पहले लाला जैसे डाॅन भी रहे । इसीलिए वंस अपोन ए टाइम जैसी फिल्में भी बनी और सत्या जैसी फिल्में भी चर्चित रहीं । हम जो समाज देखते हैं उसी को फिल्माया जाता है । पर हम जो समाज बनाना चाहते हैं वैसी फिल्में बनाना क्यों छोड़ दिया ? सत्यकाम की बजाय सत्या क्यों ? सोनू सूद के किरदार पर कोई फिल्म बनायेगा या अब भी खलनायक ही दिखायेंगे ? बहुत सोचने की बात । एक साधारण पुलिस वाले का बेटा कैसे डाॅन बन गया ? क्यों बन गया? एक बार हाथ आकर कैसे बच निकला ? आज भी कम्पनी से हर कोई डरता क्यों है ? हालांकि कहते हैं कि कानून के हाथ लम्बे होते हैं लेकिन डाॅन तक क्यों नहीं पहुंचे ?