किसान ब्रदर्स फिल्म पर काम कर रहा था कि कोरोना आ गया: राजेश अमरलाल बब्बर 

फिल्म निर्देशक राजेश अमरलाल बब्बर के साथ कमलेश भारतीय की इंटरव्यू  

किसान ब्रदर्स फिल्म पर काम कर रहा था कि कोरोना आ गया: राजेश अमरलाल बब्बर 
फिल्म निर्देशक राजेश अमरलाल बब्बर अपने परिवार के साथ।

छोरियां, छोरों से कम नहीं  फिल्म के निर्देशक व सिरसा निवासी राजेश अमरलाल बब्बर हिसार आए थे इस फिल्म की रिलीज के समय सिटी माॅल में। गिरीश धमीजा ने हमें फोन पर मित्र बनाया और मैं अपनी बेटी रश्मि के साथ फिल्म देखने गया। हिसार की सोनाली फौगाट ने इसमें महिला एसपी की भूमिका निभाई है। सभी हीरो हीरोइन यानी पूरी कास्ट मौजूद थी। बस। अब दादा जी का रोल करने वाले व राजेश के गुरु गौतम इस दुनिया में नहीं रहे। फिल्म के सभी कलाकारों से राजेश ने बड़े  प्यार से मिलवाया। खैर। राजेश से फोन लगाया तो पता चला कि फिल्म पर काम अटक गया है। यह किसान ब्रदर्स फिल्म आर्गेनिक खेती पर आधारित होगी । कोरोना की घोषणा जब 13 मार्च को हुई तो घर से फोन आ गया कि तुरंत आ जाओ वापिस। चंडीगढ़  एयरपोर्ट पर देखा हर आदमी मास्क लगाए था। मैने भी मास्क और सेनेटाइजर खरीदा और किसी तरह मुम्बई घर पहुंचा। इसके बाद से लाॅकडाउन में दिन बिता रहा हूं परिवार के साथ। 
-परिवार में कौन कौन हैं? 
-पत्नी संगीता बब्बर और दो बेटियां-रियान और रिचल। बड़ी बेटी पेंटिंग और पियानो में मस्त है तो छोटी रियल डांस और टीवी शोज में। 
-आप पति पत्नी किसमें?
-हमने शैड्यूल बनाया है। सुबह डेढ़ घंटा योगा और फिर नहाना धोना। नाश्ता आदि। इसके बाद क्लासिकल व मनपसंद फिल्में या सीरियल देखना। शाम को बिल्डिंग कम्पाउंड में ही थोड़ी सैर। 
-कौन सी फिल्में देखीं?
-ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्में-बावर्ची, आनंद आदि। गुलज़ार का सीरियल मिर्ज़ा गालिब। डेढ़ दो घंटे बच्चियों के साथ। गप शप। कुछ समाचार भी देख लेते हैं। 
-भाभी संगीता बब्बर क्या करती हैं? 
-पहले तो मुझे पंजाबी सीरियल्ज में एसिस्ट करती थीं। फिर बच्चे आ गये और वे व्यस्त हो गयीं। अब गृहिणी। 
-कहां कहां पढ़े? 
-सिरसा के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी के इंडियन थियेटर डिपार्टमेंट में गिरीश धमीजा का क्लासफैलो। फिर दिल्ली में भी हम लोग एक ही कमरे में रहे जब तक कि गिरीश की शादी नहीं हो गयी। इकट्ठे मुम्बई आए और यहां भी एक साल एक ही कमरे में रहे। दिल्ली में नुक्कड़ नाटक किए। फिर मुम्बई पहुंच कर सीरियल्ज की डायरेक्शन। 
-कौन कौन से?
-सपने सुहाने लडकपन के। यह आजकल भी रिपीट हो रहा है। मीत मिला दे रब्बा। शंकर जयकिशन। ये तेरी गलियां। 
-एक्टर बनने आए थे या डायरेक्टर?
-डायरेक्टर ही। काॅलेज से ही नाटक डायरेक्ट करता था। 
-दिल्ली में किसके साथ किए नुक्कड़ नाटक ?
-ग्रुप बनाया स्ट्रीट काॅर्नर ग्रुप। इसके माध्यम से मंगोलपुरी, जहांगिरपुरी एवंम सगंम विहार आदि बस्तियों में झुग्गी झोंपड़ी वाले बच्चों के साथ जागरुकता के लिए नुक्कड़ नाटक। 
हमारी शुभकामनाएं राजेश अमरलाल बब्बर को।