मूड्स ऑफ लाकडाउन और इक्कीस कहानियां/डा. अजय शर्मा

मातृभारती डाट कॉम डिजीटल मीडिया ने एक ऐसी नई पहल को जन्म दिया जो अपने आप में अनूठी थी 

मूड्स ऑफ लाकडाउन और इक्कीस कहानियां/डा. अजय शर्मा

लाकडाउन का पहला सत्र इक्कीस दिनों  का घोषित किया गया तो पूरे हिंदुस्तान में उसकी चर्चा होने लगी। सारे चैनल्स इसी के बारे में चर्चा कर रहे थे। सारी अखबारों की सुर्खियां भी यही थी। कई प्रदेशों मे तो लॉकडाउन के साथ कफ्र्यू भी लग गया था। कई लोगों के लिए यह स्थिति बड़ी भयावह थी, क्योंकि जिन लोगों के पैरों में चक्कर होता है उनके लिए घर बैठना किसी तपस्ता करने से कम नहीं होता। लेकिन ऐसे हालातों में कुछ लोग सचमुच तपस्या भी करते हैं। और ऐसे हालात में सबसे  बड़े  तपस्वी हैं लेखक। सब जानते हैं कि शब्द ब्रह्म है, तो लेखक ब्रह्मा है। 

शायद यही कारण है कि मातृभारती डाट कॉम डिजीटल मीडिया ने एक ऐसी नई पहल को जन्म दिया जो अपने आप में अनूठी थी। उन्होंने ऐसे 21 लेखक चुने जो कहानियां लिखेंगे। एक सोसाइटी के अलग-अलग फ्लैट में क्या हो रहा है, यही सबका थीम था। यानी हर लेखक को एक नए विषय को उठाकर लाकडाउन से जोड़कर कहानी की रूप रेखा तैयार करनी थी। यह आइडिया साहित्यकार नीलिमा शर्मा के मन में आया और उनके इस फैसले पर जंयती रंगानथन   ने साथ दिया और महेन्द्र शर्मा जी ने  मातृभारती पर प्रकाशन की मुहर लगा दी। इक्कीस लेखकों की कहानियां लाकडाउन के  काल में विभिन्न घरों में घटित होने विभिन्न मूड्स के दर्शन करवाती हैं। वैसे तो यह बहुत मुश्किल होता है कि कोई आपको टास्क दे और आप पूरा कर लें। लेकिन इसके बावजूद शामिल सभी लेखकों ने इसे पूरा किया है, यह सभी लेखक बधाई के हकदार हैं।

हर कहानी अलग मूड को दर्शाती ही नहीं बल्कि हमारे मन मस्तिष्क पर अपनी अमिट छाप भी छोड़ती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि कुछ कहानियां  तो बहुत ही उम्दा किसम की कहानियां जिन्हें पढ़कर सचमुच लगता है कि लाकडाउन के समय में एक लेखक के दिमाग क्या कुछ उमड़ घुमड़ सकता है। वह सारा का सारा उमडऩा और घुमडऩा बादल बनकर कंपोजिंग में बरसना सचमुच ऐसे लगता है जैसे प्यासी धरती पर पानी बरस रहा हो।

गौरतलब है कि लॉकडाउन का समय सच में हमारे लिए संयम का समय था। इससे पहले इस आपदा को लेकर पूरे विश्व ने इसके बारे में नहीं सोचा था। लोग घरों में दुबकर न जाने क्या-क्या सोच रहे थे। किसी को अवसाद ने घेर लिया, तो कोई घर बैठकर ही छटपटाने लगा। लेकिन लेखक इस सारी दुविधाओं से दूर साधना में रत हो गए, क्योंकि लेखक दृष्टा होता है। इन कहानियों को आप मातृभारती. कॉम पर पढ़ा जा सकता है ।  मातृभारती  पोर्टल साहित्य के प्रति कृतसंकल्प है ।  पर्यावरण के  संकटकाल  में  ऑनलाइन किताबो का प्रकाशन करना  एक महत्वपूर्ण कदम है । यहां 30 हजार से अधिक  लेखको की कहानियाँ संग्रहित है। महेंद्र शर्मा जी ने साहित्य प्रेम की वज़ह से एप्प बनाया था और  बहुत ही जल्द पाठकों का चहेता  पोर्टल बन गया  ।  

मुझे लगता है कि अगर सारी कहानियां पुस्तक के रूप में पाठकों तक पहुंच जाएं तो सोने पर सुहागा होगा। इससे केवल पाठक ही नहीं, बल्कि पूरा हिदुंस्तान समृद्ध होगा औऱ भविष्य में जब कोरोनाकाल में जन मानस के मनोविज्ञान पर अध्ययन किया जाएगा तो शोधार्थियों के लिए यह पुस्तक  बहुत फायदेमंद होगी ।