समाचार विश्लेषण /अविश्वास प्रस्ताव: क्या खोया , क्या पाया?

समाचार विश्लेषण /अविश्वास प्रस्ताव: क्या खोया , क्या पाया?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
हरियाणा विधानसभा में कल कांग्रेस द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव औंधे मुंह गिर गया और अतिविश्वास में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने खट्टर ने कहा कि मैं तो चाहता हूं कि हर छह माह बाद कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाए । यह अतिविश्वास है । वे यह कहावत भी बोले-पल्ले नहीं दाने , अम्मा चली भुनाने । 
दूसरी ओर कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हमने अपना उद्देश्य पूरा किया । हम हरियाणा वासियों को और खासतौर पर किसानों को दिखाना चाहते थे कि आपके प्रति गठबंधन के नेताओं का क्या रवैया और नजरिया है । उन्होंने यह उदाहरण भी दिया कि अंतिम मुगल बादशाह सिर्फ  जैसे लाल किले तक सिमट कर रह गया था , ऐसे ही सरकार सिर्फ सचिवालय तक सिमट कर रह गयी है । किसी गांव में कोई सत्ताधारी नेता जा नहीं पा रहा । यह सबसे बड़ा अविश्वास है । यदि इतना ही विश्वास था तो गुप्त मतदान क्यों नहीं करवाया? दो दो बार मांग की ।
बहुत कुछ सामने आया ।
हुड्डा तेरे राज में 
जीरी गयी जहाज में 
इसकी बजाय अनूप धानक ने कहा 
हुड्डा तेरे राज में 
जमीन गयी ब्याज में .....

अपने अपने पक्ष । दुष्यंत चौटाला का कहना था कि हुड्डा को अपनी ही पार्टी की हाई कमान पर विश्वास नहीं । ये तो पार्टी में भी अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले हैं और जम्मू में जी 23 का हिस्सा बने हैं ।
रघुवीर कादयान ने दुष्यंत चौटाला को परदादा चौ देवीलाल की याद दिलाई और कहा कि यदि उनकी शिक्षाएं याद हों और रगों मे उनका खून दौड़ता हो तो तुरंत किसानों के हक में खड़े हो जाएं लेकिन ऐसा नहीं हुआ । 
पहले यह बात आ रही थी कि सिलषे से निर्दलीय विधायक गोपाल कांडा अनुपस्थित रहेंगे लेकिन वे आए और भाजपा-जजपा सरकार को खुलेआम समर्थन दिया । जबकि भाजपा उनका समर्थन लेने से इंकार कर चुकी है । है न । मान न मान, मै तेरा मेहमान । बलराज कुंडू ने भी भाजपा को समर्थन दिया । आयकर के छापों का असर तो होना ही था । यह तो होना ही था । अब छापों का क्या डर ?
दादा रामकुमार गौतम साफ साफ भाजपा और मोदी के समर्थन मे बोले लेकिन उन्हें विधानसभा में बोलने का समय न दिया गया । फिर वे किस बात का रोना रोते रहते हैं ? ऐसे ही देवेंद्र बबली को भी रोक दिया गया , यह कह कर कि आपके नेता ने विचार चर्चा के लिए आपका नाम नहीं सुझाया । देवेंद्र बबली ने गुस्से में कहा कि वे कौन होते हैं मुझे रोकने वाले ? और यह भी कि ऐसी बात है तो मैं इस्तीफा दे दूंगा । अब इन बातों से बताइए कि अविश्वास प्रस्ताव का उद्देश्य पूरा हुआ या नहीं ? चिंगारी तो लगा दी विपक्ष में इस अविशवास प्रस्ताव ने कि नहीं ? जैसे खट्टर जी कह रहे हैं कि हर छह माह बद अविश्वास प्रस्ताव लाया करे कांग्रेस तो अगले अविश्वास प्रस्ताव तक सब कुछ ऐसा ही नहीं रहेगा और कहीं ऐसा न हो कि अविश्वास प्रस्ताव लाने की नौबत ही न आए और सरकार अपने ही गठबंधन के बोझ से औंधे मुंह गिर जाये।   फिलहाल गठबंधन को जीत की बधाई।