समाचार विश्लेषण/हर शाख पे उल्लू बैठा है

समाचार विश्लेषण/हर शाख पे उल्लू बैठा है
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
सुना था यह शेर लेकिन आज जब सारा अखबार टटोला कर पढ़  लिया तो यही महसूस हुआ कि हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा ? लखीमपुर खीरी के घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा और पूछा कि क्या आम आदमी को भी कभी नोटिस चस्पां कर गिरफ्तार किया जाता है जो केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे को इतनी छूट क्यों दी जा रही है ? बताइए ? क्या नोटिस दिये जाते हैं आम आदमी को ? उसके तो घरवालों को परेशान किया जाता है या बदले में गिरफ्तार किया जाता है और आखिरकार दोषी पुलिस को समर्पण कर देता है । इस केस में दो बार आशीष मिश्रा के घर के बाहर दो दो बार नोटिस चिपका देने के बावजूद बड़ी शान से मंत्री महोदय समय बता रहे हैं कि कल उनका बेटा समर्पण करेगा । है न मंत्री पद की धौंस ? ऊपर से गोदी मीडिया इसे पर्यटन न बनाइए का पुराना राग गा रहा है ।।भला इनसे पूछो कि आप सबसे पहले ऐसी जगह के पर्यटन पर क्यों जाते हो ? नेताओं का पर्यटन साबित करने ? यही आपका धर्म है ? 
इधर हरियाणा आ जाइए । राम रहीम एक बार फिर दोषी करार । साथ में चार अन्य भी । अपने ही डेरा मैनेजर रणजीत सिंह की हत्या के आरोप में दोषी करार और सज़ा कुछ दिन बाद सुनाई जायेगी । इस बार कोई लाल बैग नहीं दिखाया और न हिंसा हुई किसी तरह की । डेरा मैनेजर ने जब संदिग्ध गतिविधियां देखी थीं तो अपना परिवार लेकर वापस कुरुक्षेत्र अपने घर आकर खेती करने लगा था लेकिन राम रहीम को शक था कि गुमनाम साध्वी का जो खत छत्रपति ने पूरा सच में प्रकाशित किया है यह  खत रणजीत ने अपनी बहन से लिखवाया है और इसी शक में दस जुलाई , 2002 को खेतों में ही रणजीत की हत्या को अंजाम दिया गया । इसके बाद 24 अक्तूबर, 2002 को छत्रपति को उसके घर के बाहर सिरसा में गोलियों से छलनी कर दिया गया था । राम रहीम या उसके अनुयायियों ने सोचा होगा कि कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा लेकिन अंशुल छत्रपति और उसका परिवार जो डट कर कोर्ट में खड़ा रहा और आखिर राम रहीम को अपने जीवन के सबसे बुरे दिन देखने पड़े । डेरे में उदासी है , मायूसी है लेकिन हिंसा के कोई संकेत नहीं अभी तक । राम रहीम के घटनाक्रम से कोई सबक नहीं लिया बल्कि उत्तर प्रदेश में नरेंद्र गिरि को इसी लालच में मार गिराया कि सारी सम्पत्ति अपनी हो जायेगी । ये डेरे या आश्रम अपनी अकूत सम्पत्ति के चलते ही ईर्ष्या , द्वेष और लालच के डेरे बन चुके हैं । यदि इनका पैसा समाजसेवा में लगाया जाये तो शायद हालात बदल जायें । 
अब फिल्मी दुनिया की ओर चलते हैं । सुशांत राजपूत के बाद से के बाद कितना शोर मचा ड्रग्स का और कितने बड़े बड़े नाम आए सामने लेकिन कार्यवाही तो न रिया चक्रवर्ती पल हुई न ही दीपिका पादुकोण या सारा अली खान या फिर रकुलप्रीत सिंह पर । बस थोथा चने की तरह एन सी बी बाजे घणा । कोई गिरफ्तारी नहीं हुई । अब बारी किंग खान के बेटे आर्यन खान की है । बड़े बड़े वकील दिमाग लगा रहे हैं पर अभी तक जमानत न मिली आर्यन को और मीडिया कह रहा है कि 'मन्नत' मानी जायेगी या नहीं ? यानी मीडिया भी किंग खान के साथ खड़ा है । ऐसा भी बयान आ रहा है आर्यन का कि मुझे क्या जरूरत है ऐसी पार्टी करने की ? मैं तो ऐसे बाप का बेटा हूं कि पूरा जहाज न खरीद लूं ? है न कितना स्मार्ट बेटा किंग खान का ?
ठीक है । आज की जय जय ।  कल फिर मिलते हैं ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।