समाचार विश्लेषण/ल्यो भाई, हिंदी से मंडराया गृह युद्ध का खतरा 

समाचार विश्लेषण/ल्यो भाई, हिंदी से मंडराया गृह युद्ध का खतरा 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
बात बहुत बुरी लगी होगी । है न ? मुझे भी लगी जब पढ़ी यह खबर की तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन यह चेतावनी दे रहे हैं कि हिंदी अनिवार्य की तक गैर हिंदी भाषी लोग दोयम हो जायेंगे और इसे थोपी केंद्र एक और गृह युद्ध यानी भाषा युद्ध की शुरूआत न कर दे कहीं ! कितने पवित्र विचार हैं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के ! यहां तक अपील की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिंदी को अनिवार्य बनाने के प्रयास छोड़ देने चाहिएं ! यह कड़ा रूख स्टालिन ने क्यों अपनाया ? इसकी वजह है केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक
रिपोर्ट सौंपी जाना ! स्टालिन कह रहे हैं कि यदि हिंदी अनिवार्य की गयी तो देश की बड़ी गैर हिंदी भाषी आबादी अपने ही देश में दोयम दर्जे की बन कर रह जायेगी ! हिंदी को थोपना भारत की अखंडता के खिलाफ भी बता रहे हैं । वे कह रहे हैं या कि उनका एतराज यह है कि अंग्रेजी को हटाकर केंद्र की परीक्षाओं में हिंदी को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव क्यों रखा गया है ? ऐसा करके दूसरी भाषाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है । सन् 1965 से ही उनकी पार्टी डीएमके हिंदी को थोपने के खिलाफ संघर्ष कर रही है । सबसे आश्चर्यजनक बात जो कही वह यह कि हिंदी की तुलना में दूसरी भाषा बोलने वाले लोग देश में ज्यादा हैं ! भाजपा सरकार अतीत में हुए हिंदी आंदोलनों से सबक ले! 
हद हो गयी न ! कि हद से भी ज्यादा हो गयी ? अभी मुश्किल से एक महीना भी नहीं बीता जब हम बड़े गर्व से हिंदी दिवस मना रहे थे और विश्व भर में हिंदी के बोलने वालों के आंकड़े सामने रख रहे थे और आज स्टालिन महोदय से पता चला कि हिंदी बोलने वालों से ज्यादा तो दूसरी भाषाओं वाले लोग हैं और यह भी भेद खुल गया कि सन् 1965 से चाहे कोई भी सरकार रही , वह हिंदी को उसका सम्मान क्यों नहीं दिलवा पाई यानी वोट की राजनीति में पिस रही है हमारी प्यारी हिंदी ! दक्षिणी राज्य हिंदी के विरोध मे दवाब बनाये रखते हैं केंद्र सरकार पर जिससे हिंदी को सिर्फ एक दिन की महारानी बनाया जाता है और हिंदी दिवस मनाने के बाद भुला दिया जाता है । ऐसा कब तक ? किस बात का महिमामंडन हम करते हैं हिंदी को लेकर ? क्या राजनितिक लोग ऐसे दवाबों के डर से हिंदी को कभी उसका सिहासन नहीं देंगे ? हिंदी बेचारी अंग्रेजी के आगे झुकी रहेगी ? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन को सही जवाब देंगे ?
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।