समाचार विश्लेषण/दो दिल जुदा हो रहे हैं मगर चुपके चुपके

समाचार विश्लेषण/दो दिल जुदा हो रहे हैं  मगर चुपके चुपके
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
दो दिल जब मिलते हैं , तब दुनिया को पता नहीं चलता लेकिन जब जुदा होते हैं तो सारी दुनिया जान लेती है । इसीलिए पंजाबी में कहा जाता है -

साडी लगदी किसे न वेखी
कि टूटदी नूं जग जानदा ..

पर कल हमारे सामने , हमारे ही शहर हिसार में गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय में  भाजपा कार्यकारिणी बैठक के दौरान भाजपा और जजपा में 'ब्रेकअप' हो गया नगर निकाय चुनावों के लिए । तो कहना पड़ गया :
दो दिल जुदा हो रहे हैं 
मगर चुपके चुपके ...

कहां तो विधानसभा चुनाव के दौरान जजपा का नारा था -पचहत्तर पार नहीं , हम करेंगे भाजपा को यमुना पार और कहां भाजपा ने चुपके से कर दिया निकाय चुनाव में बाहर । क्यों ऐसी नौबत आई ? बड़ी मुश्किल से भाजपा जजपा की गठबंधन सरकार बन पाई । उसमें भी चौ रणजीत चौटाला जैसे निर्दलीय भी समर्थन दे रहे हैं । गोपाल कांडा भी बाहर से समर्थन दे रहे हैं जबकि पहले महम के विधायक बलराज कुंडू भी समर्थन दे रहे थे लेकिन फिर समर्थन वापस ले लिया । वैसे सरकार को कोई खतरा नहीं लेकिन इस तरह एक चुनाव में अलग अलग राह पकड़कर चलना कुछ संकेत जरूर दे रहा है । वह यह कि यह गठबंधन स्थायी तो नहीं है और अगले विधानसभा चुनाव तक चलेगा यह भी कहा नहीं जा सकता । राहें अलग होनी शुरू हुई हैं और कितनी दूरी बन जायेगी आने वाले दिनों में , कोई नहीं कह सकता । यह भी एक सच्चाई है कि निकाय चुनाव शहरों में हैं और शहरों में भाजपा का वोट बैंक ज्यादा है और इसी के चलते यह फैसला लिया गया हो । फिर भी अपने पार्टनर को इस  तरह यूज एंड थ्रो की तरह तो उपयोग नहीं करना चाहिए बड़े पार्टनर को । क्यों बिग पार्टनर?
दूसरी ओर जजपा की नैना चौटाला ने भी 'हरी चुनर चौपाल' कार्यक्रम शुरू कर रखे हैं तो आज कांग्रेस भी फतेहाबाद में 'विपक्ष आपके द्वार' प्रोग्राम के तहत पहुंचेगी तो अरविंद केजरीवाल भी कुरूक्षेत्र में हरियाणा के महाभारत में कूदने जा रहे हैं । अब पता चलता कि किसका कितना वजूद है और कितनी ब्योंत है । रैलियां निकाय चुनाव के लिए समर्थन भी जुटाएंगी और कितना यह तो फिर निकाय चुनाव परिणाम ही बतायेंगे । फिलहाल तो कांग्रेस के नये अध्यक्ष उदयभान के लिए यह पहली चुनौती होगी अपनी व कांग्रेस की लोकप्रियता सिद्ध करने के लिए । शुभकामनाएं सबको पर
 दो दिल जुदा हो रहे हैं 
मगर चुपके चुपके 
सबको खबर हो रही है 
मगर चुपके चुपके ..
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।