पेशे से पत्रकार अश्विनी जेतली की ताज़ा ग़ज़ल

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पेशे से पत्रकार अश्विनी जेतली की ताज़ा ग़ज़ल
अश्विनी जेतली।

आर्ट वर्क-गरिमा धीमान।

 

सोचा था कि मैं भी कोई इतिहास लिखूंगा
ज़िंदगी के सब तलख़ तज़ुर्बात लिखूंगा 

 

उसके दिल पर लिख पाता तो अच्छा था 
कोरे कागज़ पर अब मन की बात लिखूंगा 

 

ज़िद थी कि मेहनत से मिटा दूंगा मुफलिसी 
सूखी ज़मीं पे सावन की सौगात लिखूंगा 

 

ना झुका हूँ, ना झुकूंगा कभी, ज़ुल्म के आगे 
मज़लूम के ही हक की हमेशा बात लिखूंगा 

 

हाकिम की हाँ में ना मिलाऊँगा कभी हाँ 
उसके कहने पे ना गलत बात लिखूंगा 

 

शायर हूँ, कोई दरबारी तो नहीं हूँ 
धूप को धूप, बरसात को बरसात लिखूंगा 

 

जो भी लिखूंगा होकर बेबाक लिखूंगा 
तेरे दिल पर जब अपने जज़्बात लिखूंगा